Gorakhpur: पूर्वोत्तर रेलवे अपने नेटवर्क को और अधिक मजबूत और सुगम बनाने की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है. रेलवे ने 773 किलोमीटर लंबे रेल मार्ग पर दोहरीकरण, तीसरी और चौथी लाइन बिछाने के लिए फाइनल लोकेशन सर्वे (एफएलएस) शुरू कर दिया है. इस सर्वे के तहत छह प्रमुख रेलखंड शामिल हैं, जिनमें सीतापुर सिटी से बुढ़वल जंक्शन (103 किमी), गोंडा (मैजापुर) से मगहर (145 किमी), कुसम्ही से छपरा ग्रामीण होते हुए टेकनिवास (170 किमी), औंड़िहार से वाराणसी (35 किमी), गोंडा से नकहा जंगल होते हुए बढ़नी (215 किमी) और मथुरा से कासगंज (105 किमी) शामिल हैं.
यात्रियों और मालगाड़ियों की संख्या बढ़ने से रेलवे पर दबाव
पूर्वोत्तर रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी पंकज कुमार सिंह के अनुसार, इन परियोजनाओं का उद्देश्य बढ़ते यात्रियों के दबाव और मालगाड़ियों की संख्या को देखते हुए रेलवे की क्षमता बढ़ाना है. उन्होंने बताया कि गोरखपुर जंक्शन-कुसम्ही (14 किमी), छपरा कचहरी-छपरा (2 किमी) और गोंडा कचहरी-करनैलगंज (23.65 किमी) के बीच तीसरी लाइन का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है और इन ट्रैक पर ट्रेनों का संचालन शुरू भी हो चुका है.
नई रेल बिछने से ट्रेन संचालन में आएगी रफ्तार
करनैलगंज से घाघरा घाट के बीच तीसरी लाइन का कार्य अंतिम चरण में है. इस अतिरिक्त ट्रैक से ट्रेन संचालन में तीव्रता आएगी, समय पालन में सुधार होगा और यात्रियों को अधिक आरामदायक यात्रा अनुभव मिलेगा. साथ ही मालगाड़ियों की आवाजाही में तेजी आएगी, जिससे व्यापार और उद्योग जगत को विशेष लाभ होगा.
यात्रियों और व्यापारी दोनों के लिए सौगात
वित्तीय वर्ष 2025-26 में इन परियोजनाओं के पूर्ण होते ही पूर्वोत्तर भारत के सामाजिक और आर्थिक विकास को नया बल मिलेगा. इससे कृषि, वाणिज्य, पर्यटन, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं को भी मजबूती मिलेगी. यात्रियों और व्यापारियों, दोनों के लिए यह एक बड़ी सौगात साबित होगी.
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