Gorakhpur News: नवरात्र के अवसर पर गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर पहुंचे, जहां वे अगले तीन दिनों तक कई प्राकर के धार्मिक अनुष्ठानों और आराधना में लीन रहेंगे. गोरक्षपीठाधीश्वर के रूप में, वे गोरखनाथ मंदिर में महंत अवैद्यनाथ और गुरु गोरक्षनाथ की मूर्तियों पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि देंगे. गुरुवार की शाम वे गोरक्षपीठ के पारंपरिक महानिशा पूजन में हिस्सा ले रहे हैं, जबकि शुक्रवार को नवमी तिथि पर कन्या पूजन करेंगे.
क्या होती है महानिशा पूजा
महानिशा पूजा नवरात्र के दौरान की जाने वाली पूजाओं में से एक है जो इस बार 10 अक्टूबर को है. इस दिन माता रानी की पूजा के लिए मिट्टी के बर्तन में कढ़ाई चढ़ाई जाती है. क्योंकि मिट्टी के बर्तनों को सबसे ज्यादा पवित्र माना जाता है. महानिशा का अर्थ मध्यरात्रि होता है इसलिए यह पूजा रात्रि के समय की जाती है.
नवरात्र अनुष्ठान व विजयादशमी की शोभायात्रा
गोरक्षपीठाधीश्वर ने नवरात्र की प्रतिपदा को गोरखनाथ मंदिर के शक्तिपीठ में कलश स्थापना की थी, और तभी से गोरक्षपीठाधीश्वर के प्रतिनिधि और प्रधान पुजारी योगी कमलनाथ नवरात्र में कलश स्थापना करते आ रहे हैं. गुरुवार को गोरखपुर पहुंचने के बाद अब सीएम योगी विजयदशमी तक यहीं रहेंगे और विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठानों में हिस्सा लेंगे.
कन्याओं को पांव पखारेंगे सीएम
शुक्रवार को सुबह 11 बजे से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मातृशक्ति दुर्गा की पूजा के बाद नौ कन्याओं का पूजन करेंगे. इस दौरान वे नौ दुर्गा स्वरूपा कुंवारी कन्याओं के पांव पखारेंगे और उन्हें तिलक लगाकर विधिवत पूजन करेंगे. कन्याओं को भोजन कराने के बाद सीएम योगी कन्याओं को दक्षिणा व उपहार देकर उनका आशीर्वाद लेंगे. इसके साथ ही पारंपरिक बटुक पूजन का भी आयोजन किया जाएगा.
विजयादशमी शोभायात्रा का खास आकर्षण
शनिवार को विजयादशमी के दिन गोरखनाथ मंदिर से गोरक्षपीठाधीश्वर की अगुवाई में भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी, जो गोरखपुर की दशहरा परंपरा का महत्वपूर्ण हिस्सा है. गोरक्षपीठ से निकलने वाली इस शोभायात्रा में विभिन्न वर्गों और समुदाय हिस्सा लेते हैं. यह शोभा यात्रा सामाजिक समरसता की अद्भुत मिसाल पेश करती है.
मुस्लिम समाज करता है शोभायात्रा का स्वागत
विशेष बात यह है कि अल्पसंख्यक समुदाय, विशेषकर मुस्लिम समाज, इस शोभायात्रा का स्वागत बड़ी धूमधाम से करता है. उत्तर प्रदेश उर्दू अकादमी के पूर्व चेयरमैन चौधरी कैफुलवरा के अनुसार, दशहरे के दिन इस शोभायात्रा का सभी को इंतजार रहता है. मुस्लिम समुदाय के लोग गोरक्षपीठाधीश्वर का स्वागत करने के लिए फूलों की मालाओं के साथ घंटों पहले खड़े रहते हैं. यह दृश्य सामाजिक समरसता का अद्भुत प्रतीक बन जाता है.
संतों की अदालत का आयोजन
विजयादशमी के दिन गोरक्षपीठ में एक और महत्वपूर्ण परंपरा निभाई जाती है. इस दिन संतों की अदालत लगती है, जिसमें गोरक्षपीठाधीश्वर दंडाधिकारी की भूमिका में होते हैं. नाथपंथ की परंपरा के अनुसार, इस अदालत में संतों के बीच के विवादों का निस्तारण किया जाता है.
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