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Gorakhpur News: कौन थे देवरहा बाबा, इंदिरा-राजीव गांधी से लेकर अटल-मुलायम तक थे भक्त, आषाढ़ एकादशी पर ले ली समाधि

UP Ki Baat: उत्तर प्रदेश की धरती से एक से बढ़कर एक महात्मा, साधु और संत निकले हैं. लेकिन एक ऐसे संत भी यूपी में हुए हैं जिनका आशीर्वाद लेने के लिए भारत के राष्ट्रपति और सभी बड़े नेताओं के साथ-साथ ब्रिटेन के महाराजा भी आए थे. आज हम बात करेंगे यूपी के महान और दिव्य संत देवरहा बाबा के बारे में ... पढ़िए पूरी खबर ...

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UP Ki Baat
UP Ki Baat
Rahul Mishra|Updated: Jul 02, 2024, 07:59 PM IST
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Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश की धरती से एक से बढ़कर एक महात्मा, साधु और संत निकले हैं. लेकिन एक ऐसे संत भी यूपी में हुए हैं जिनका आशीर्वाद लेने के लिए भारत के राष्ट्रपति और सभी बड़े नेताओं के साथ-साथ ब्रिटेन के महाराजा भी आए थे. देवरिया के रहने वाले देवरहा बाबा एक ऐसे ही महान और सर्व पूजनीय संत थे. पूरे साल वे देवरिया में ही रहते थे. लेकिन एक महीने के लिए वे काशी आते थे. काशी में बाबा के ठहरने के दौरान उनके भक्तों का दर्शन करने के लिए जमावड़ा लग जाता था. 

आषाढ़ की एकादशी के दिन ली समाधि
कुछ संतों और उनके अनुयायियों द्वारा बताया जाता है कि देवरहा बाबा ने साल 1990 में आषाढ़ के महीने में एकादशी के दिन ही अपने प्राण त्याग दिए थे. हालांकि, बाबा को अवतारी पुरुष माना जाता था. इसलिए उनके जन्म को लेकर अभी तक कोई ठोस सबूत नहीं मिला है. 

काशी से था लगाव
देवरहा बाबा के बारे में बताया जाता है कि उन्हें काशी से बहुत लगाव था. इसका पीछे का कारण देवरहा बाबा के गुरु जनार्दनाचार्य महाराज का पीठ काशई में अस्सी घाट पर स्थित द्वारिकाधीश मंदिर में बना होना था. लेकिन बाद में जैसे ही देवरहा बाबा की कीर्ति बढ़ी तो काशी का द्वारिकाधीश मंदिर देवरहा बाबा आश्रम के नाम से जाना जाने लगा. बाबा के शिष्यों ने बताया कि वह जनसेवा और गोसेवा को सर्वोपरि धर्म मानते थे. बाबा हमेशा लकड़े से बने मचान पर रहते थे. वह सिर्फ स्नान करने नीचे आते थे. 

ब्रिटेन के महाराजा के साथ बड़े राजनेताओं ने किए थे दर्शन
देवरहा बाबा के दर्शन करने के लिए भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी और बड़े राजनेता महामना मदन मोहन मालवीय, विश्वनाथ प्रताप सिंह, पुरुषोत्तमदास टंडन, लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव, कमलापति त्रिपाठी आदि नेता शामिल थे. इनके साथ ही ब्रिटेन के महाराज रहे जॉर्ज पंचम भी बाबा के दर्शन करने आए थे. 

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