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कौन थे पूर्वांचल के बाहुबली हरिशंकर तिवारी? 'ब्राह्मण राजनीति' के बहाने माफिया के महिमामंडन में क्यों जुटे अखिलेश

Harishankar Tiwari : समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव आज गोरखपुर दौरे पर हैं. वह पूर्व कैबिनेट मंत्री हर‍िशंकर तिवारी की जयंती पर उनके पैतृक गांव चिल्‍लूपार में आयोजित कार्यक्रम में भाग लेंगे. 

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Harishankar Tiwari
Harishankar Tiwari
Amitesh Pandey |Updated: Aug 05, 2024, 11:50 AM IST
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Harishankar Tiwari : पूर्व कैबिनेट मंत्री हरिशंकर तिवारी की आज 89वीं जयंती है. एक बार फ‍िर हरिशंकर‍ तिवारी का परिवार सुर्खियों में है. उनके पैतृक गांव चिल्‍लूपार में आज दिग्‍गज नेताओं का जमावड़ा लग रहा है. समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अखिलेश यादव भी पहुंच रहे हैं. हरिशंकर तिवारी को पूर्वांचल का रॉबिनहुड कहा जाता है. कहा यह भी जाता है कि जब तक वह राजनीति में रहे सरकार किसी की भी रही हो मंत्री जरूर रहते थे. तो आइये जानते हैं पूर्वांचल के बाहुबली नेता हरिशंकर तिवारी की कहानी.    

कौन थे हरिशंकर तिवारी? 
पूर्वांचल के ब्राह्मणों में हरिशंकर तिवारी बड़ा नाम है. कहा जाता है कि यूपी में माफ‍ियागिरी की शुरुआत हरिशंकर तिवारी के हाथों हुई. उनकी रसूख का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि जब तक वह रहे किसी माफ‍िया ने उनसे भिड़ने की जुर्रत नहीं की. माफ‍िया जगत में वह हर किसी के लिए सम्‍मानीय रहे. हरिशंकर तिवारी को सिर्फ बाहुबली के रूप में शुमार किया गया, जब कि वह ब्राह्मणों के सरमाएदार थे.

हरिशंकर तिवारी का राजनीतिक करियर 
हरिशंकर तिवारी गोरखपुर की चिल्लूपार विधानसभा सीट से 6 बार विधायक रहे. साल 1997 से 2007 के बीच उत्तर प्रदेश में जिसकी भी सरकार बनी, हर सरकार में वह कैबिनेट मंत्री रहे. हर दल के नेताओं से उनके अच्छे संबंध थे. हरिशंकर तिवारी चिल्‍लूपार सीट से लगातार 22 सालों तक तक विधायक रहे हैं. 1985 से 2007 तक सीट पर बन रहे. हरिशंकर तिवारी ने अपना पहला चुनाव 1985 में निर्दलीय लड़ा. 

70 के दशक में चमकी राजनीति 
70 के दशक में जेपी आंदोलन के दौरान पूर्वांचल में एक नाम जो उछला वह था हरिशंकर तिवारी का. गोरखपुर विश्‍वविद्यालय में छात्र राजनीति के समय हरिशंकर तिवारी और वीरेंद्र प्रताप शाही के बीच कई खूनी जंग हुई. एक समय था जब गोरखपुर में गोलियों की तड़तड़ाहट आम हो गई थी. वीरेंद्र प्रताप शाही से अदावत के दौरान हरिशंकर तिवारी को लगा कि माफ‍िया के तौर पर बने रहना है तो राजनीति में कदम रखना होगा. इसके बाद पहली बार 1985 में चिल्‍लूपार से चुनाव लड़े. देश की राजनीति में ऐसा पहली बार हुआ कि कोई जेल से चुनाव लड़ा और जीत गया. इसके बाद हरिशंकर तिवारी का डंका राजनीति में भी बजने लगा. 

परिवार से दोनों बेटे राजनीति में
हरिशंकर तिवारी के दोनों बेटे राजनीति में हैं. हरिशंकर तिवारी का गोरखपुर से सटे संतकबीरनगर की राजनीति में दिलचस्‍पी थी. इसलिए हरिशंकर तिवारी ने बेटे विनय शंकर तिवारी को चिल्‍लूपार विधानसभा की विरासत दी. वहीं, दूसरे बेटे भीष्‍म शंकर तिवारी उर्फ कुशल तिवारी को संतकबीरनगर की विरासत सौंपी. भीष्म शंकर तिवारी 2009 में संतकबीर नगर से बसपा से सांसद बने. वहीं, विनय शंकर तिवारी 2018 से 2022 तक पिता की सीट से विधायक रहे. भतीजा शंकर पांडे महाराजगंज से विधायक रहा. 

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