आशीष द्विवेदी/हरदोई: हरदोई में माफिया अनुपम दुबे की 1 करोड़ 94 लाख रुपए की संपत्ति कुर्क की गई है. माफिया अनुपम दुबे ने अपने भाई के नाम सवायजपुर गांव में जमीन खरीदी थी. अनुपम दुबे पिछले कई सालों से जेल में बंद है. जिलाधिकारी फर्रुखाबाद के न्यायालय के आदेश पर सवायजपुर तहसील प्रशासन ने संपत्ति कुर्की की कार्रवाई की है. विगत सन 2017 में वह बसपा के टिकट पर सवायजपुर विधानसभा से चुनाव भी लड़ चुका है. चुनाव में उसे हार मिली थी और वह तीसरे नंबर पर रहा था. अनुपम दुबे के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट की कार्रवाई की गई थी.
अनुपम दुबे की 1 करोड़ 94 लाख रुपये की संपत्ति कुर्क
हरदोई जिले में सवायजपुर तहसील प्रशासन ने माफिया अनुपम दुबे की 1 करोड़ 94 लाख रुपये की संपत्ति को कुर्क कर लिया. बसपा के टिकट पर 2017 में सवायजपुर विधानसभा से चुनाव लड़ चुके माफिया अनुपम दुबे ने अपने भाई अमित दुबे के नाम से वर्ष 2019 में सवायजपुर गांव में गन्ना कृषक विद्यालय के पास 2820 वर्ग मीटर कृषि योग्य भूमि खरीदी थी.बाद में यह भूमि भूखंड में दर्ज हो गई थी. अनुपम दुबे और उसके भाइयों के खिलाफ फर्रुखाबाद प्रशासन ने गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की थी.
जेल में बंद हे अनुमप दूबे
अनुपम दुबे मथुरा जेल में बंद है और पुलिस इंस्पेक्टर हत्याकांड में उम्र कैद की सजा काट रहा है. गैंगस्टर एक्ट की कार्यवाही के क्रम में जिलाधिकारी फर्रुखाबाद के न्यायालय ने संपत्ति कुर्क करने का आदेश जारी किया था. जिलाधिकारी न्यायालय के आदेश पर सवायजपुर के प्रभारी तहसीलदार देशराज भारती के नेतृत्व में राजस्व कर्मियों की टीम मौके पर पहुंची और भूखंड को कुर्क कर लिया गया और झंडी लगा दी गई हैं.
फर्रुखाबाद के डीएम ने जारी किए थे आदेश
मथुरा जेल में बंद माफिया अनुपम दुबे के भाई अमित दुबे की सम्पत्ति को कुर्क करने के लिए फर्रुखाबाद के डीएम ने 3 अप्रैल 2025 को आदेश जारी किया था. इसके बाद अनुपम दुबे के भाई अमित दुबे की हरदोई में संपत्ति होने का पता चला था इसको लेकर हरदोई जिलाधिकारी को पत्र भेजा गया था. इसमें अनुपम दुबे और उसके भाई की संपत्ति कुर्क करने का न्यायालय से आदेश संलग्न था. तत्कालीन जिलाधिकारी ने 30 अप्रैल 2025 को कार्रवाई करने के संबंध में एसडीएम सवायजपुर संजय अग्रहरी को आदेश दिया था लेकिन 2 महीने बाद तहसील प्रशासन ने कार्यवाही की जहमत उठाई. फिलहाल माफिया अनुपम दुबे के खिलाफ न्यायालय के आदेश के दो महीने बाद संपत्ति कुर्क की कार्रवाई की गई है. ऐसे में माफिया के खिलाफ न्यायालय के आदेश के बावजूद कार्रवाई में देरी को लेकर तहसील प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं.