India First Engineering College: स्कूल-कॉलेजों में दाखिले की दौड़ शुरू हो गई है. छात्र एडमिशन के लिए कॉलेज तलाश रहे हैं. अगर आप इंजीनियरिंग कॉलेज में दाखिला लेना चाहते हैं तो देश के पहले इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन करा सकते हैं. यहां एडमिशन मिल गया तो बच्चे की लाइफ सेट हो जाएगी. आइये जानते हैं देश के पहले इंजीनियरिंग कॉलेज के बारे में....
देश का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज कौन सा?
भारत का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज 1847 में उत्तराखंड में खुला था. 175 साल पहले स्थापित देश का पहला इंजीनियरिंग कॉलेज यूनिवर्सिटी ऑफ रुड़की के नाम से भी जाना जाता है. यह थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग के नाम से भी जाना जाता था. इस इंजीनियरिंग कॉलेज के बनाने की कहानी जानकर आपके होश उड़ जाएंगे.
एक तंबू से टॉपर कॉलेज तक सफर
दरअसल, 1846 में उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले में एक साधारण टेंट लगाया गया. यहीं पर 20 भारतीय छात्रों की इंजीनियरिंग की पढ़ाई शुरू करवाई गई. इसके बाद लगा कि एक तंबू में इंजीनियरिंग कॉलेज नहीं चल सकता है. इसके लिए मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर की जरूरत है. साथ ही बड़ी-बड़ी बिल्डिंग की भी आवश्यकता है. इसके बाद 23 सितंबर 1847 को जेम्स थॉमसन ने गवर्नर जनरल को एक प्रस्ताव भेजा.
गंगा किनारे हुई स्थापना
इसमें 'गंगा कैनाल के किनारे, रूड़की (उत्तराखंड) में एक स्थायी इंजीनियरिंग कॉलेज की स्थापना करने की बात कही गई. यहीं से जन्म हुआ भारत के पहले इंजीनियरिंग कॉलेज का. इसका नाम रखा गया 'थॉमसन कॉलेज ऑफ सिविल इंजीनियरिंग'. बाद में इसका नाम बदल दिया गया. इसका नाम काफी समय तक यूनिवर्सिटी ऑफ रूड़की भी रहा. आखिर में आज यह इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी यानी IIT रूड़की के नाम से जाना जाता है. यह भारत के सबसे प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कॉलेजों में से एक है.
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