Haridwar News: वाराणसी के श्मशान घाटों पर सदियों से मनाई जाने वाली अनोखी मसान की होली अब उत्तराखंड के हरिद्वार में भी धूमधाम से खेली जा रही है. यह अनूठा पर्व आम होली से एक दिन पहले मनाया जाता है, जिसमें रंग, गुलाल और श्मशान की राख से होली खेली जाती है. इस परंपरा को पुनर्जीवित करने में किन्नर अखाड़ा की अहम भूमिका रही है.
बुधवार को महामंडलेश्वर भवानी शंकरानंद गिरी के नेतृत्व में हरिद्वार के खड़खड़ी श्मशान घाट पर भव्य आयोजन हुआ. देवी की मूर्ति को सिर पर धारण कर किन्नर समाज के लोगों ने नृत्य और भजन-कीर्तन के साथ घाट तक यात्रा निकाली. इसके बाद विधि-विधान से पूजा की गई और फिर राख और रंगों से होली खेली गई.
पुरानी परंपरा को फिर से जिंदा करने की कोशिश
महामंडलेश्वर भवानी शंकरानंद गिरी का कहना है कि सनातन धर्म की कई प्राचीन परंपराएं समय के साथ लुप्त हो गई थीं, जिन्हें अब फिर से जीवंत किया जा रहा है. उन्होंने कहा, "मसान की होली सिर्फ काशी की नहीं, बल्कि हर उस स्थान की परंपरा है, जहां संत, साधु और किन्नर समाज मौजूद है."
किन्नर अखाड़े की महत्वपूर्ण भूमिका
उन्होंने बताया कि 2014 में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद किन्नर समाज को अधिकार मिलने के साथ ही उनकी संस्कृति को पुनर्जीवित करने का अवसर मिला. समाज के सहयोग से संतों ने अपने पुरषार्थ को साबित किया और आज किन्नर अखाड़ा इस परंपरा को निभाने में मुख्य भूमिका अदा कर रहा है.
महामंडलेश्वर ने कहा, "संविधान में कुछ भी जोड़ा या हटाया जा सकता है, लेकिन सनातन संस्कृति में मान-सम्मान, मर्यादा और भाईचारा हमेशा बना रहेगा. हमारी जिम्मेदारी है कि इन परंपराओं को आने वाली पीढ़ियों तक पहुंचाएं."
हरिद्वार में लगातार दूसरे साल खेले गए मसान की होली के आयोजन ने यह साबित कर दिया कि यह सिर्फ काशी तक सीमित नहीं रही, बल्कि अब पूरे देश में इसे पुनर्जीवित करने का प्रयास किया जा रहा है.
उत्तराखंड नवीनतम अपडेट्स के लिए ज़ी न्यूज़ से जुड़े रहें! यहाँ पढ़ें Uttarakhand News in Hindi और पाएं हर पल की जानकारी । उत्तराखंड की हर ख़बर सबसे पहले आपके पास, क्योंकि हम रखते हैं आपको हर पल के लिए तैयार। जुड़े रहें हमारे साथ और बने रहें अपडेटेड!
ये भी पढ़ें : मार खाओ इनाम पाओ...यूपी के इस गांव में अनोखी पैनामार होली, मर्दों की खूब धुनाई करती हैं महिलाएं