कहा जाता है वाराणसी के लोगों के निवास के प्रमाण 3000 साल से अधिक पुराने हैं. कई विद्वान इसे 4000 साल जबकि कई 5000 साल पुराना मानते हैं. वाराणसी की गिनती भारत और खासकर उत्तर भारत के सांस्कृतिक एवं धार्मिक केन्द्र के तौर पर की जाती है.
24 मई 1956 को इस प्राचीनतम शहर का नाम सरकारी गजट में वाराणसी पड़ा. साल 1965 में आए उत्तर प्रदेश सरकार के डिपार्टमेंट ऑफ डिस्ट्रिक्ट गजेटियर्स में इसकी जानकारी दर्ज है. इससे पहले वाराणसी को बनारस या बनारस के नाम से जाना जाता था.
वाराणसी का नाम यहां की दो नदी वरुणा और असि नदी को मिलाकर हुआ. ये नदियां गंगा नदी में उत्तर और दक्षिण दिशा से आकर मिलती हैं. पौराणिक कथाओं के मुताबिक काशी की स्थापना भगवान शिव ने की थी. जो आज के समय में बड़ा तीर्थ स्थल है. कई ग्रंथों में इसका उल्लेख किया गया है.
पुराणों में कहा गया है कि मनु की 11वीं पीढ़ी के राजा काश के नाम पर काशी बसाई गई थी. इसके अन्य पौराणिक नामों में अविमुक्त नगर, कासिनगर, कासिपुर, रामनगर, जित्वरी आदि थे.
वाराणसी जिला 1535 वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है. यहां की कुल जनसंख्या 36 लाख 76 हजार 841 है. इसमें 19 लाख 21 हजार 857 पुरुष और 17 लाख 54 हजार 984 महिलाएं हैं.
यहां बताई गई सारी बातें सामान्य जानकारी, इंटरनेट पर उपलब्ध सामग्री और धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.