यह अनोखा पुल उत्तर प्रदेश के कानपुर जिले में पड़ता है. जो शहर के दक्षिणी क्षेत्र में पड़ता है. सबसे खास बात यह है कि इसके निर्माण में न किसी लोहे की सरिया का इस्तेमाल किया गया है और न ही इसमें कोई सीमेंट लगाई गई है.
करीब 100 साल पुराने ब्रिटिशकालीन इस अनोखे पुल को देखकर लोग हैरान रह जाते हैं. बताया जाता है कि इसका निर्माण गुड़ की चासनी और अरहर के दाल के पानी के मिश्रण को मिलाकर किया गया था. आज भी यह पुल मजबूती से खड़ा है.
यही नहीं इस पुल की सबसे अनूठी बात यह है कि इसके नीचे से नदी बहती है जबकि ऊपर नहर का पानी बहता है. इसकी बेजोड़ तकनीकी देखते ही बनती है. आज के इंजीनियरों के लिए भी यह किसी सीख से कम नहीं है.
यह पुल शहर के गुजैनी बाईपास से बायीं ओर थोड़ी दूर पांडु नदी पर बना हुआ है. बताया जाता है कि इसका निर्माण करीब एक सदी पहले हुआ था.
इस पुल के पिलर का डिजाइन भी खास है, कहा जाता है कि आने वाले 50 साल तक यह ऐसे ही खड़ा रहेगा. नदी के नीचे ईंटों के खंभे तैयार किए गए हैं. इसके बाद इनको 6 हिस्सों में गोलाकार रूप में बांटा गया है. इसके ब्रिक वर्क में चूने और सुर्खी का इस्तेमाल किया गया है.
यहां बताई गई सारी बातें धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं. इसकी विषय सामग्री और एआई द्वारा काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.