अजीत सिंह/जौनपुर: यूपी के जौनपुर जनपद की एक बहुचर्चित हत्या के मामले में 25 साल बाद न्यायालय ने बड़ा फैसला सुनाया है. अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय रंजीत कुमार की अदालत ने सरायख्वाजा थाना क्षेत्र के इटौरी बाजार में वर्ष 2000 में हुए जनार्दन सिंह हत्याकांड में भाजपा नेता विजय सिंह विद्यार्थी और उनके सहयोगी प्रमोद कुमार सिंह को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही दोनों दोषियों पर 25 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया गया है.
बनाए गए थे तीन आरोपी
मामले की जानकारी के अनुसार, वर्ष 2000 में आपसी रंजिश के चलते इटौरी बाजार में दिनदहाड़े बगल के गांव निवासी जनार्दन सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इस मामले में कुल तीन लोग अभियुक्त बनाए गए थे. उल्लेखनीय है कि इस मामले में विजय सिंह विद्यार्थी के भाई अजय सिंह को पूर्व में ही सजा सुनाई जा चुकी है, जबकि विजय सिंह और प्रमोद सिंह लंबे समय तक फरार रहे.
उनकी गिरफ्तारी में देरी के कारण ही न्याय प्रक्रिया में विलंब हुआ. अब न्यायालय के निर्णय से पीड़ित परिवार को न्याय मिला है, वहीं पुलिस व अभियोजन पक्ष को भी एक बड़ी सफलता मिली है.
क्या है पूरा मामला?
अभियोजन कथानक के अनुसार वादी मुकदमा अनिरुद्ध सिंह निवासी ग्राम उड़ली थाना सराय ख्वाजा ने मुकदमा पंजीकृत करवाया कि आज से 4 दिन पहले उसके भतीजे देवेंद्र कुमार सिंह को अजय कुमार सिंह ने धमकी दिया था कि मेरे काम में दखल दोगे तो जान से मार दूंगा. इसके बाद वादी ने पंचायत बुलाई.
पकड़कर मारी गोली
पंचायत की सूचना पर आरोपीगण नाराज हो गए और 30 अक्टूबर 2000 को जब वादी के भाई जनार्दन सिंह व भतीजा देवेंद्र सिंह बाजार से वापस आ रहे थे तो शाम 4:30 बजे इटौरी बाजार के पास सोनिकपुर गांव निवासी सगे भाई अजय कुमार सिंह व विजय कुमार सिंह तथा एक अन्य व्यक्ति प्रमोद कुमार सिंह मिले और विजय व प्रमोद ने जनार्दन सिंह को पकड़ लिया और ललकारा कि इसे जान से खत्म कर दो.
25 साल बाद आया फैसला
तब अजय कुमार सिंह ने जनार्दन सिंह को गोली मार दिया. घटनास्थल पर लोगों के एकत्रित होने पर उन्हें जान से मारने की धमकी देते हुए एक ही मोटरसाइकिल से तीनों आरोपी भाग गए, दूसरी मोटर मोटरसाइकिल घटनास्थल पर छोड़ दिए. अब 25 साल बाद मामले में फैसला आया है. अपर सत्र न्यायाधीश द्वितीय रणजीत कुमार की अदालत ने 25 वर्ष पहले गोली मारकर हत्या करने के दो आरोपियों को आजीवन कारावास व 25-25 हजार रुपए अर्थ दंड से दंडित किया.