अजीत सिंह/जौनपुर: यूपी के जौनपुर जिले में चंदवकके बलरामपुर गांव में उस समय बेहद मार्मिक नजारा देखने को मिला, जब तेरह साल पहले रहस्यमयी ढंग से लापता हुआ युवक अचानक साधु के वेश में गांव लौटा. उसकी मां ने जैसे ही उसके चेहरे की एक झलक देखी, दिल की गहराइयों से पहचान लिया, वह साधु कोई और नहीं, बल्कि उसका अपना बेटा राकेश था.
जानिए क्या है पूरा मामला
प्राप्त जानकारी के अनुसार, बलरामपुर निवासी मुखई राम का निधन 18 जनवरी 2012 को हो गया था. उनके निधन के बाद पत्नी अपने तीन बेटों के साथ कठिन हालात में जीवन यापन कर रही थीं. इसी बीच बड़ा बेटा राकेश, जो उस समय 19 वर्ष का था, अचानक लापता हो गया. परिजनों ने उसे ढूंढने की हरसंभव कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली.
भिक्षा भागते साधु को देख मां की ठिठकीं आंखें
समय के साथ परिवार ने राकेश की यादों को दिल में दबाकर जीवन की गाड़ी आगे बढ़ाई. छोटा बेटा मंजेश रोजी-रोटी के लिए पुणे चला गया, जबकि मंझला बेटा बृजेश गांव में रहकर खेती-बारी में मां का सहारा बना रहा. हाल ही में एक दिन गांव में एक साधु भिक्षा मांगते हुए आया. उसकी एक झलक पाकर राकेश की मां की आंखें ठिठक गईं. चेहरा जाना-पहचाना सा लगा.
खोया हुआ बेटा निकला साधु
साधु बिना कुछ बोले आगे बढ़ गया, लेकिन शक गहराता गया. बाद में सूचना मिली कि वही साधु गाजीपुर जिले के अमेना गांव (जहां राकेश का ननिहाल है) में भी देखा गया है. स्थानीय बाजार में दुर्गा मंदिर और रामलीला मंच के पास साधु के फिर से दिखाई देने की खबर मिलते ही परिवार के लोग मौके पर पहुंचे. वहां जो देखा, वह अविश्वसनीय लेकिन सच्चाई थी कि वह साधु उनका खोया हुआ बेटा राकेश ही था.
नजारा देख हर कोई हो गया भावुक
तेरह वर्षों के इंतजार और दर्द के बाद जब मां ने बेटे को गले से लगाया, तो यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर व्यक्ति भावुक हो गया. कई लोगों की आंखें छलक पड़ीं. फिलहाल राकेश को परिवार अपने साथ घर ले आया है. वह अभी अधिक बोल नहीं रहा है और गुमसुम है. परिजन उसकी देखभाल कर रहे हैं और उसे मानसिक संबल देने की कोशिश कर रहे हैं.