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पैसों के लिए रिश्‍तों का बंटवारा, झांसी में 3 करोड़ के लिए बेटों ने मां-बाप को कर दिया अलग

Jhansi News: जमीन का मुआवजा मिलने पर बेटों ने मां-बाप का बंटवारा कर लिया. दो बेटों ने बाप को अपने पास रख लिया तो दो बेटों ने मां को अपने पास रख लिया. पैसों के लिए रिश्‍तों का बंटवारा हो गया. 

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सांकेतिक तस्‍वीर
सांकेतिक तस्‍वीर
Zee Media Bureau|Updated: May 27, 2025, 12:07 AM IST
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Jhansi News: झांसी के रक्सा थाना क्षेत्र के इमलिया गांव निवासी बुजुर्ग माता-पिता के लिए बीड़ा से मिलने वाला मुआवजा 2 करोड़ 85 लाख रुपये गले की फांस बन गया. मुआवजे की रकम में अधिक हिस्सेदारी के लालच में बेटों ने बुजुर्ग मां-बाप को ही बांट लिया. दो बड़े भाइयों ने बुजुर्ग पिता को अपने पास रख लिया, जबकि बूढ़ी मां को दो छोटे भाई के पास रहने भेज दिया गया. इस बंटवारे से परेशान बुजुर्ग मां रक्सा थाना पहुंच कर पुलिस से शिकायत की है. 

पैसों के लिए मां-बाप का बंटवारा
दरअसल, बुजुर्ग किसान लक्ष्मी नारायण की इमलिया गांव में 23 एकड़ जमीन थी. यह पूरी जमीन बीड़ा ने अधिग्रहीत कर ली. जमीन के भू-स्वामी के तौर पर 95 वर्षीय बुजुर्ग किसान का नाम दर्ज है. मुआवजे के तौर पर उनको कुल 2 करोड़ 85 लाख रुपये मिलने हैं. इसमें 1 करोड़ 55 लाख रुपये उनके खाते में आ चुके हैं, जबकि बाकी रुपये आना है. इतनी बड़ी रकम आने से परिवार में विवाद छिड़ गया. बुजुर्ग ने 85 लाख चारों बेटों में बांट दिए. 

बेटों की निगाह एक करोड़ 30 लाख रकम पर 
एक हिस्सा बुजुर्ग दंपती ने अपने पास रख लिया, लेकिन बेटों की निगाह एक करोड़ 30 लाख रुपये पर है. दो बड़े बेटे रामबाबू भार्गव और देवेंद्र भार्गव ने भू स्वामी होने के नाते सिर्फ पिता को अपने पास रख लिया है. छोटे भाई वीरेंद्र के हवाले मां को कर दिया है. 

पहले मां-बाप साथ रहते थे
लक्ष्मी नारायण भार्गव के तीसरे नंबर का बेटा राजाराम ने बताया कि माताजी यह चाहती हैं कि पति हमारे पास रहें, लेकिन बड़े भाई देवेंद्र जबरन पिताजी को अपने पास रखे हुए हैं. जबकि हिस्सा सभी भाइयों को बराबर बराबर मिल गया. एक भाई के हिस्से में 13 लाख 85 हजार के हिसाब से मिला है. पहले माताजी और पिताजी एक साथ रहते थे. अब पिताजी बड़े भाई देवेंद्र के पास रह रहे हैं. और माताजी मध्य प्रदेश के दिनारा में छोटे भाई के साथ रह रहे हैं. 

सर्किल रेट से चार गुना ज्‍यादा मिला मुआवजा
वहीं, बीडा के ओएसडी डॉ लालकृष्ण ने बताया कि जो जमीन किसान से ली जा रही है. वह आपसी समझौता के आधार पर रजिस्ट्री कराई जा रही है. सर्किट रेट से चार गुना पैसा किसान को दिया जा रहा है. लक्ष्मी नारायण की जो जमीन खरीदी गई थी, उसका मुआवजा का पैसा उनके खाते में दिया गया है. वह आपसी सहमति से किसी को पैसा दे सकते हैं इससे बीडा से कोई मतलब नहीं होता है. 

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