Unnao Latest News/ज्ञानेंद्र प्रताप: गरीब महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की मंशा से चलाई जा रही राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) योजना में बड़ा घोटाला सामने आया है. सीडीओ द्वारा की गई जांच में खुलासा हुआ है कि 3.85 करोड़ रुपये की राशि बिना किसी अभियान के चलाए निजी वेंडरों को भुगतान कर दी गई. मामले में तत्कालीन डीडीओ (उपायुक्त स्वतः रोजगार) संजय कुमार पांडेय और एनआरएलएम की जिला मिशन प्रबंधक शिखा मिश्रा को दोषी पाया गया है. सीडीओ प्रेम प्रकाश मीणा ने दोनों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की संस्तुति करते हुए रिपोर्ट शासन को भेज दी है.
क्या है मामला?
वित्तीय वर्ष 2023-24 में 18 अप्रैल से 30 जून तक महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जोड़ने, नए समूह गठित करने और प्रशिक्षण देने के लिए विशेष अभियान चलाने के निर्देश दिए गए थे. इसके तहत 3558 स्वयं सहायता समूहों के गठन के लिए प्रति समूह 10,000 रुपये के हिसाब से कुल 3.85 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे. इस राशि से मानदेय, आवागमन और जरूरी सामग्री की खरीद होनी थी.
कैसे हुआ खुलासा?
गांधीनगर निवासी अरविंद कुमार और अक्षत ठाकुर ने डीएम को शिकायत पत्र देकर आरोप लगाया कि यह पूरा पैसा समूहों को न देकर निजी वेंडरों को दे दिया गया. डीएम गौरांग राठी के निर्देश पर सीडीओ ने चार सदस्यीय जांच टीम गठित की. जांच में पाया गया कि न तो कोई अभियान चला और न ही कोई महिला समूहों को इसका लाभ मिला. इसके बावजूद चित्रकूट, कानपुर देहात और उन्नाव के निजी वेंडरों को फर्जी बिलों के आधार पर भुगतान कर दिया गया.
जिम्मेदार कौन?
जांच में पाया गया कि तत्कालीन डीडीओ संजय कुमार पांडेय और एनआरएलएम की जिला मिशन प्रबंधक शिखा मिश्रा ने आपसी मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा किया. मनमाने तरीके से मनचाहे वेंडरों को भुगतान कर दिया गया, जबकि अभियान का संचालन ही नहीं हुआ था.
क्या कार्रवाई हुई?
सीडीओ ने रिपोर्ट में डीडीओ पर अनुशासनात्मक कार्रवाई और जिला मिशन प्रबंधक को सेवा से हटाने की संस्तुति की है. यह रिपोर्ट ग्राम्य विकास विभाग के अपर मुख्य सचिव को भेजी गई है. डीएम गौरांग राठी ने भी पुष्टि की है कि रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी गई है.
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