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Kinnar Akhada: ममता कुलकर्णी और महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी की छुट्टी, किन्रर अखाड़े का एक्शन

Mamta Kulkarni in Kinnar Akhada: किन्नर अखाड़े ने महाकुंभ मेले के दौरान ममता कुलकर्णी को दीक्षा दिलाकर महामंडलेश्वर बनाने को लेकर ममता कुलकर्णी और महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को निकाल दिया है. 

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Mahamandleshwar Laxmikant Tripathi Mamta Kulkarni Kinnar Akhada
Mahamandleshwar Laxmikant Tripathi Mamta Kulkarni Kinnar Akhada
Zee Media Bureau|Updated: Jan 31, 2025, 07:00 PM IST
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Mahamandleshwar Laxmi Narayan Tripathi: किन्नर अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को पद से हटा दिया गया है. किन्नर अखाड़े के प्रमुख अजयदास ने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को अखाड़े से निष्कासित कर दिया है. लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के साथ ममता कुलकर्णी को भी अखाड़े से हटाया गया है. नियमों के खिलाफ जाकर काम करने के चलते लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी को किन्नर अखाड़े से हटाया गया है. अजयदास ने खुद को किन्नर अखाड़े का संस्थापक बताया है

विदेश से 25 साल बाद मुंबई लौटीं ममता कुलकर्णी ने भारत लौटते ही महाकुंभ जाने का ऐलान किया था. अभी 28 जनवरी को उन्हें किन्नर अखाड़े में अचानक महामंडलेश्वर बना दिया गया. उनका नाम भी बदलकर ममता नंदगिरी कर दिया गया. प्रयागराज महाकुंभ में इसको लेकर बड़ा आयोजन किन्नर अखाड़े में किया गया. उन्हें सीधे ग्लैमर की दुनिया से आध्यात्म की दुनिया में लाकर महामंडलेश्वर बनाए जाने का बड़ा विरोध हुआ. खुद रामदेव भी इसके विरोध में उतरे थे.

बता दें, ममता के महामंडलेश्वर बनने के बाद कई संत उनके इस फैसले पर ऐतराज जता चुके हैं. सबका यही मानना है कि ऐसे प्रतिष्ठित पद को हासिल करने के लिए सालों के आध्यात्मिक अनुशासन और समर्पण की जरूरत होती है. जबकि ममता को एक ही दिन में महामंडलेश्वर चुन ली गईं. किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी ने उन्हें बाकयदा पट्टाभिषेक कराया था. उन्हें साध्वी के कपड़े पहनाकर दूध से नहलाया गया था. ममता कुलकर्णी ने कहा था कि यह 144 साल बाद हो रहे महाकुंभ में उनके लिए ऐतिहासिक अवसर है. 

ममता कुलकर्णी ने साध्वी बनने के बाद कहा था कि उन्होंने किन्नर अखाड़ा इसलिए चुना था कि ये स्वतंत्र अखाड़ा है. जिस तरह गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी और वो सांसारिक मोहमाया छोड़कर धर्म और ज्ञान की प्राप्ति में रम गए थे. उसी से उन्हें प्रेरणा मिली है. ममता ने यह भी सफाई दी थी कि जगद्गुरु ने उनकी चार बार परीक्षा ली थी. उनसे धर्म और आध्यात्म से जुड़े कठिन सवाल किए गए थे. उनके उत्तरों से संतुष्ट होने के बाद उन्हें महामंडलेश्वर बनने का प्रस्ताव दिया गया था. 

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