Kumbh Mela 2025: कोलकाता के व्यवसायी उत्तम मंडल अपनी पत्नी और मित्रों के साथ संगम में डुबकी लगाने के लिए रविवार रात प्रयागराज पहुंचे. वहीं शहर निवासी देवव्रत पत्रिया ने स्वीकार किया कि वह धार्मिक कारण से नहीं बल्कि ‘‘जिज्ञासा’’ के कारण महाकुंभ आए हैं. हालांकि, बंगाल से आए दोनों लोगों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा हाल में मची भगदड़ के बाद सुरक्षा संबंधी चिंता को रेखांकित करने के लिए इस्तेमाल की गई भाषा पर अपनी असहमति जताई.
ममता बनर्जी ने दिया था बयान
सीएम ममता बनर्जी ने 18 फरवरी को कहा था कि भगदड़ की घटनाओं के कारण महाकुंभ ‘मृत्यु कुंभ’ बन गया है. उन्होंने दावा किया था कि अधिकारियों ने मौतों के वास्तविक आंकड़े को छिपा दिया. पिछले महीने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में मची भगदड़ में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई और 60 घायल हो गए, जबकि हाल में नयी दिल्ली रेलवे स्टेशन पर मची भगदड़ में 18 लोगों की जान चली गई.
सीएम ममता का दावा
पश्चिम बंगाल विधानसभा में बोलते हुए बनर्जी ने दावा किया, ‘‘मैं इसे महाकुंभ नहीं कहूंगी. यह अब मृत्यु कुंभ बन गया है. यह मौत के गड्ढे जैसा है. मैं महाकुंभ का सम्मान करती हूं, मैं गंगा मां का सम्मान करती हूं. हालांकि, इस आयोजन की सही से योजना नहीं बनाई गई.’’
क्या कहा कलकत्ता के निवासी ने
रविवार देर शाम को कोलकाता हवाई अड्डे से प्रयागराज जाने वाले दो विमानों में लगभग सभी सीट भर गईं, जबकि पश्चिम बंगाल की राजधानी, आंध्र प्रदेश और अन्य स्थानों से आए यात्री अगली सुबह की प्रतीक्षा में कतारों में खड़े थे. कोलकाता से शाम 7:30 बजे उड़ान भरने से ठीक पहले मंडल ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, "यह कुंभ मेले की मेरी पहली यात्रा है. मेरी पत्नी और मेरे मित्र मेरे साथ यात्रा कर रहे हैं. हम संगम में डुबकी लगाने जा रहे हैं. मैं बहुत खुश महसूस कर रहा हूं.’’
क्यों असहमत हैं कलकत्ता के लोग
कोलकाता के निवासी पत्रिया (51) ने प्रयागराज के लिए उड़ान भरने से पहले कोलकाता में 'पीटीआई भाषा' से कहा, "मैं वहां सिर्फ एक पर्यटक के रूप में जा रहा हूं." पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री द्वारा हाल में की गई टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘वह व्यवस्था की स्थिति के लिए उत्तर प्रदेश सरकार की आलोचना कर सकती हैं, लेकिन उन्हें ऐसी भाषा में बात नहीं करनी चाहिए.’’ (रिपोर्ट- भाषा)
ये भी पढ़ें- वाराणसी-मिर्जापुर से बाराबंकी तक भक्तों का सैलाब, महादेव के मंदिरों में लंबी कतारें