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निर्मोही अखाड़े का इतिहास 300 साल पुराना, देश भर में लाखों अनुयायी, राम मंदिर आंदोलन में निभाई थी अहम भूमिका

Nirmohi Akhara: निर्मोही अखाड़े का इतिहास 300 साल से ज़्यादा पुराना है. निर्मोही अखाडे की स्थापना 1720 में रामानंदाचार्य ने की थी. यह अखाड़ा भगवान राम के प्रति समर्पित है. इसलिए अयोध्या आंदोलन से इस अखाड़े का नाम जुड़ा रहता है.आइए जानते हैं इसके बारे में पूरी जानकारी..

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Nirmohi Akhara
Nirmohi Akhara
Preeti Chauhan|Updated: Jan 13, 2025, 10:36 AM IST
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Mahakumbh 2025: यूपी के प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ शुरू हो गया है. महाकुंभ में साधु-संतों के 13 अखाड़े भी लाखों साधुओं के साथ शामिल हुए हैं.  इससे पहले संगम की रेती पर सभी प्रमुख 13 अखाड़ों के साथ ही देश भर से साधु-संत अपना बसेरा बना चुके हैं. महाकुंभ में अखाड़ों की भूमिका हमेशा से महत्वपूर्ण रही है. महाकुंभ अखाड़ों के बिना अधूरा है. हम आपको क्रम से एक-एक करके अखाड़ों के बारे में बताएंगे. उत्तर भारत से गोदावरी नदी तक के सभी संप्रदायों के संन्यासियों को 13 संघों में वर्गीकृत किया गया है.  13 संघों का अर्थ है 13 अखाड़े. आइए जानते हैं इनके बारे में..सबसे पहले निर्मोही अखाड़ा

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14 अखाड़ों में से एक निर्मोही अखाड़ा
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से मान्यता प्राप्त 14 अखाड़ों में से एक है निर्मोही अखाड़ा. निर्मोही अखाड़ा अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से मान्यता प्राप्त 14 अखाड़ों में से एक है.  14वीं सदी में वैष्णव संत और कवि रामानंद ने इस अखाड़े की नींव रखी थी. 

निर्मोही अखाड़ा एक प्रमुख अखाड़ा
यह अखाड़ा वाराणसी में स्थित है और इसकी स्थापना 4 फरवरी 1720 को हुई थी. निर्मोही अखाड़ा एक प्रमुख अखाड़ा है जो साधु-संतों और हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है. राम की पूजा करने वाले इस अखाड़े के बारे में माना जाता है कि वो आर्थिक रूप से काफी संपन्न है. इसके यूपी, उत्तराखंड, मप्र, राजस्थान, गुजरात और बिहार में कई अखाड़े और मंदिर हैं. निर्मोही अखाड़े ने अयोध्या में राम जन्मभूमि के पूजा-पाठ और प्रबंधन के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी है.  

 ब्रह्मचारी जीवन की कड़ी सीख
अखाड़े में किशोरवय की शुरुआत में ही बच्चे शामिल कर लिए जाते हैं लेकिन इस दौरान उन्हें पूजा-पाठ और ब्रह्मचारी जीवन की कड़ी सीख दी जाती है. शिक्षा पूरी करने के बाद इन्हें साधु पुकारा जाता है.वैसे पहले निर्मोही अखाड़ा पूजा-पाठ के अलावा लोगों की रक्षा का भी काम करता था. पुराने समय में इसके सदस्यों के लिए वेद, मंत्र आदि समझने के साथ शारीरिक कसरत और अस्त्र-शस्त्र सीखना भी जरूरी था. 

रामभक्तों की रक्षा 
अखाड़े के संत मानते थे कि रामभक्तों की रक्षा करना उनका धर्म है. यही वजह है कि वे कई तरह के हथियार चलाना सीखते थे, जैसे तलवार, तीर-धनुष और कुश्ती. हालांकि समय के साथ इन चीजों की अनिवार्यता कम हो गई. अब भी निर्मोही अखाड़े के साधुओं के लिए शारीरिक मजबूती जरूरी है लेकिन अस्त्र-शस्त्र चलाना सीखने की अनिवार्यता नहीं रही.

साधु बनने की प्रक्रिया बहुत ही कठिन 
निर्मोही अखाड़ा में साधु बनने की प्रक्रिया बहुत ही कठिन और विस्तृत होती है। यहाँ कुछ चरण दिए गए हैं जिनका पालन करके कोई व्यक्ति निर्मोही अखाड़ा में साधु बन सकता है. आइए जानते हैं प्रक्रिया..

प्रारंभिक चरण
सबसे पहले, व्यक्ति को अखाड़े के पास जाकर अपनी इच्छा जातानी होती है कि वह साधु बनना चाहता है.  खाड़े के वरिष्ठ साधुओं द्वारा व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक क्षमताओं का परीक्षण किया जाता है. 
यदि व्यक्ति परीक्षण में सफल होता है, तो उसे अखाड़े में शामिल किया जाता है और उसे एक गुरु नियुक्त किया जाता है. 

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प्रशिक्षण चरण
व्यक्ति को अपने गुरु से वेद, उपनिषद, और अन्य हिंदू धर्मग्रंथों का अध्ययन करना होता है.  योग और ध्यान का अभ्यास करना होता है ताकि वह अपने मन और शरीर को नियंत्रित कर सके. प्रशिक्षण पा रहे व्यक्ति को अखाड़े के अन्य साधुओं की सेवा करनी होती है और अखाड़े के नियमों का पालन करना होता है.

दीक्षा चरण
जब व्यक्ति प्रशिक्षण पूरा कर लेता है, तो उसे एक दीक्षा समारोह में बुलाया जाता है. व्यक्ति को संन्यास की दीक्षा दी जाती है, जिसमें वह अपने पूर्व जीवन को त्याग देता है और अखाड़े के नियमों का पालन करने का वचन देता है. व्यक्ति को एक नए नाम से संबोधित किया जाता है, जो उसके नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक होता है.

भारत में 13 अखाड़े
जूना अखाड़ा
निरंजनी अखाड़ा
महानिर्वाणी अखाड़ा
आवाहन अखाड़ा
आनंद अखाड़ा
अटल अखाड़ा
पंचाग्नि अखाड़ा
नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा
वैष्णव अखाड़ा
उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा
उदासीन नया अखाड़ा
निर्मल पंचायती अखाड़ा
निर्मोही अखाड़ा 

कुंभ में पहला शाही स्नान
13 जनवरी को कुंभ के पहले शाही स्नान में यह अखाड़ा पूरी शान-ओ-शौकत के साथ पहुंचेगा. स्वर्ण-चांदी के रथ, अस्त्र शस्त्रों के साथ रेत पर दौड़ लगाते नागा साधु जब गंगा स्नान करेंगे तो वह दृश्य हर किसी को अभिभूत कर देता है.

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