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एक पत्नी ऐसी भी! पति को मौत के मुंह से बाहर खींच लाई पत्नी, साहसी फैसले को हर कोई कर रहा सलाम

Kushinagar News: पति-पत्नी के पवित्र रिश्ते को दागदार करने के खबरें आए दिन सुनने को मिल रही हैं. इसी बीच कुशीनगर जिले से इन सबसे हटकर मोहब्बत की मिसाल पेश करने वाला मामला सामने आया है.

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Kushinagar News
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Zee Media Bureau|Updated: Jun 24, 2025, 01:47 PM IST
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प्रमोद कुमार/कुशीनगर: मेरठ के सौरभ हत्याकांड से लेकर देशभर की अलग-अलग जगहों से ऐसे मामले सामने आए. जहां पत्नियां अपने ही पति की जान की दुश्मन बन गईं. लेकिन कुशीनगर जिले से एक ऐसा मामला सामने आया है. जहां पति के लिए एक पत्नी के प्रेम,समर्पण और नारीशक्ति की एक ऐसी मिसाल देखने को मिली हैं जो शायद ही देखने को मिलते हो.

जानिए क्या है पूरा मामला
पकडियार गांव की अनिता गुप्ता ने अपने पति गणेश गुप्ता की जान बचाने के लिए अपनी एक किडनी दान कर न केवल जीवन दिया, बल्कि रिश्तों की परिभाषा को फिर से जीवंत किया है. बीमारी से टूट चुके परिवार को फिर से अनिता ने मजबूत किया है. 2024 में गणेश की तबीयत अचानक बिगड़ने से अनिता परेशान थी. जब जांच करवाई गई तो गणेश की दोनों किडनियां पूरी तरह खराब हो चुकी थीं.

खुद दी पति को एक किडनी
डॉक्टरों ने तत्काल किडनी ट्रांसप्लांट की सलाह दी, लेकिन डोनर मिलना आसान नहीं था. घर की आर्थिक हालत भी खराब थी. इलाज के लिए जमीन तक बंधक रखनी पड़ी. कुल खर्च हुआ 20 लाख रुपये. ऐसे में अनिता ने विवाह के सात वचनों को सिर्फ निभाया नहीं, बल्कि जीकर दिखाया. उन्होंने कहा अगर मेरी एक किडनी से मेरे पति की जान बच सकती है, तो इससे बड़ा सौभाग्य और क्या होगा? यही तो सच्चा साथ है.”

'आधुनिक सावित्री' से सम्मानित कर रहे लोग
22 जुलाई 2024 से मेडिकल जांच शुरू हुई. कई टेस्टों के बाद अनिता संगत डोनर पाई गईं. आखिरकार 4 मई 2025, लखनऊ के चंदन हॉस्पिटल में सफल ट्रांसप्लांट हुआ. अब दोनों स्वस्थ हैं — और जीवन में फिर से सूरज की किरण लौट आई है...अनिता के साहसिक निर्णय को देखकर क्षेत्र के लोग उन्हें ''आधुनिक सावित्री'' कहकर सम्मानित कर रहे हैं.

इलाज के लिए गिरवीं रखनी पड़ी जमीन
उनके त्याग ने समाज को सिखाया है कि सच्चा रिश्ता न तो ख़ून का मोहताज होता है, न शरीर का — वो तो आत्मा का मेल होता है. इलाज के लिए परिवार को अपनी खेती की जमीन गिरवी रखनी पड़ी. हालांकि, मुख्यमंत्री राहत कोष से 6.5 लाख रुपये की सहायता मिली, जिससे कुछ राहत मिली. "यह सिर्फ एक परिवार की कहानी नहीं — यह प्रेम, नारीशक्ति और निस्वार्थता की ऐसी प्रेरक गाथा है, जिसे हर दिल तक पहुंचना चाहिए."

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