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UP Lok Sabha Chunav 2024: यूपी में 7 सीटों पर सपा-कांग्रेस का समीकरण बिगाड़ेंगे ओवैसी, AIMIM का लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान

AIMIM will fight Lok Sabha Elections 2024 in Uttar Pradesh: ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन यानी एआईएमआईएम ने यूपी की सात लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.     

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Asaduddin Owaisi
Asaduddin Owaisi
Zee Media Bureau|Updated: Feb 29, 2024, 04:17 PM IST
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AIMIM will fight Lok Sabha Elections 2024 in UP: ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुसलमीन यानी एआईएमआईएम ने उत्तर प्रदेश की सात सीटों पर लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है.असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी की लोकसभा चुनाव में 7 सीट पर उम्मीदवार उतारने की तैयारी है. पार्टी ने इंडिया गठबंधन पर सौतेला व्यवहार करने  का आरोप लगाया है. एआईएमआईएम नेता असीम वकार ने गुरुवार को ये जानकारी दी. एआईएमआईएम मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारेगा, जिसका सीधा नुकसान सपा-कांग्रेस और बसपा को हो सकता है.

वकार ने कहा, इंडिया गठबंधन में शामिल सपा और कांग्रेस लगातार उनकी पार्टी से सौतेला व्यवहार कर रही है. लगातार एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी के खिलाफ बयानबाजी की जा रही है. उन्हें अपमानित करने की पराकाष्ठा हो रही है. एआईएमआईएम फिरोजाबाद, बदायूं, संभल, मुरादाबाद, अमरोहा और आजमगढ़ और मेरठ लोकसभा सीट पर उतारने की तैयारी कर रही है. हमारी तीन दौर की बातचीत केंद्रीय नेतृत्व से हो चुकी है. हो सकता है कि हम कुछ और लोकसभा सीटों पर भी चुनाव लड़ने का ऐलान करें.   

ओवैसी की पार्टी ने यूपी विधानसभा चुनाव में 100 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, लेकिन मुकाबला बीजेपी और सपा के गठबंधन के बीच हुआ. लेकिन लोकसभा चुनाव में ओवैसी की पार्टी बड़ा नुकसान विपक्षी गठबंधन को पहुंचा सकती है. बिहार के सीमांचल में राजद को ओवैसी ने बड़ा नुकसान पहुंचाया था. महाराष्ट्र के लोकसभा चुनाव में भी ऐसा ही देखने को मिला था.  

फिरोजाबाद लोकसभा सीट बीजेपी ने 2019 में करीब 27 हजार वोटों से जीती थी. यहां से प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के शिवपाल सिंह यादव तीसरे और सपा के अक्षय यादव दूसरे स्थान पर रहे थे. संभल लोकसभा सीट पर बीजेपी करीब 1.70 लाख वोटों से हारी थी. मेरठ लोकसभा सीट तो बीजेपी ने बसपा के हाजी याकूब कुरैशी के मुकाबले पांच हजार से भी कम वोटों से जीती थी. पिछले लोकसभा चुनाव में सपा-बसपा का गठबंधन था. जबकि बसपा इस बार अलग चुनाव लड़ रही है. ऐसे में सपा के लिए मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं, क्योंकि कांग्रेस का कोई काडर वोट अब प्रदेश में बचा नहीं है.

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