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महराजगंज में दो चौधरियों में 'चौधरी' बनने की लड़ाई, हाथी की चाल पर टिकी निगाहें

Maharajganj Lok Sabha Chunav 2024: महराजगंज लोकसभा क्षेत्र में सातवें और अंतिम चरण में 1 जून को मतदान होना है. क्षेत्र में चुनावी पारा पूरे चरम पर है. चुनावी मैदान में आमने-सामने दो चौधरियों बीच सीधी लड़ाई इस पूरे चुनावी अखाड़े को और भी रोमांचक बना रही है. 

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महराजगंज में दो चौधरियों में 'चौधरी' बनने की लड़ाई, हाथी की चाल पर टिकी निगाहें
Shailjakant Mishra|Updated: May 28, 2024, 12:40 PM IST
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अमित त्रिपाठी/महराजगंज: महराजगंज लोकसभा क्षेत्र में सातवें और अंतिम चरण में 1 जून को मतदान होना है. क्षेत्र में चुनावी पारा पूरे चरम पर है. चुनावी मैदान में आमने-सामने दो चौधरियों बीच सीधी लड़ाई इस पूरे चुनावी अखाड़े को और भी रोमांचक बना रही है. दोनों के बीच मुकाबला इतना कड़ा है कि चुनावी और राजनीति के विश्लेषक भी कुछ सटीक बोलने की स्थिति में नहीं है.

पंकज चौधरी बनाम वीरेंद्र चौधरी के बीच मुकाबला
महराजगंज से केंद्र सरकार में वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी 9वीं बार बीजेपी की टिकट से चुनावी मैदान में उतरे हैं. वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट से फरेंदा से विधायक चुने गए वीरेंद्र चौधरी पर कांग्रेस ने बड़ा दांव खेलते हुए लोकसभा का टिकट दिया है. शुरुआती दौर में ऐसा माना जा रहा था कि वीरेंद्र चौधरी का टिकट कटेगा और किसी बड़े चेहरे को सामने लाया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

कुर्मी मतदाताओं को साधने की कोशिश
भाजपा प्रत्याशी पंकज चौधरी पुराने राजनीतिक खिलाड़ी माने जाते हैं.  माना जाता है कि यहां कुर्मी वोटर काफी संख्या में है. जिनका समर्थन पंकज चौधरी को मिलता रहा है. वह महाराजगंज से बीजेपी के टिकट पर 6 बार सांसद चुने जा चुके हैं. मोदी सरकार में वह केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री हैं. वहीं, कांग्रेस प्रत्याशी वीरेंद्र चौधरी के चुनाव लड़ने से कुर्मी मतों में बंटवारा होना तय माना जा रहा है. अब देखने वाली बात होगी कि कौन चौधरी किस चौधरी पर भारी पड़ेगा, यह 4 जून को पता चलेगा.

बसपा के परंपरागत वोट बैंक ही निभाएंगे महत्वपूर्ण भूमिका
इस सीट पर भाजपा और इंडी गठबंधन के बीच सीधी लड़ाई के आसार बन रहे हैं तो वहीं बसपा प्रत्याशी की चाल पर भी सबकी निगाहें टिकी हैं. इस चुनाव में बसपा के परंपरागत वोट बैंक ही भूमिका ही महत्वपूर्ण मानी जा रही है. बसपा ने यहां से मुस्मिल प्रत्याशी पर दांव लगाते हुए मोहम्मद मौसमे आलम को टिकट दिया है.

जातीय समीकरण 
संसदीय क्षेत्र में अन्य पिछड़ा वर्ग के लगभग 22% मतदाता हैं, अनसूचित जाति के 18 व मुस्लिम समाज के मतदाताओं की संख्या 17% है. महाराजगंज में कुर्मी की संख्या 9% हैं. वहीं वैश्व निषाद मतदाता सात सात प्रतिशत  तो ब्राह्मण लगभग आठ व यादव  9% हैं. क्षत्रिय मतदाताओं की संख्या जिले में लगभग तीन प्रतिशत है. 

चार विधानसभा सीटें बीजेपी के पास
महाराजगंज लोकसभा सीट में पांच विधानसभा शामिल है उसमें से चार पर जहां भाजपा और गठबंधन का कब्जा है तो वहीं एक सीट कांग्रेस के पास है, जो इस लोकसभा में प्रत्याशी भी हैं.

20 लाख मतदाता करेंगे फैसला
2019 में महाराजगंज में कुल 64.68 प्रतिशत मतदान हुआ था. 2019 के आम चुनाव में भाजपा उम्मीदवार पंकज चौधरी ने 340424 के अंतर से जीत हासिल की थी. वहीं इस बार लगभग 20 लाख 3249 मतदाता हैं, जिनमें 10 लाख 55233 पुरुष तो वही 947940 महिला और 76 थर्ड जेंडर के मतदाता हैं. 

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