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रिक्शाचालक से 51 लाख वसूलेगा बेसिक शिक्षा विभाग, प्राइमरी स्कूल में बरसों से पढ़ाता मिला

Shravasti Hiindi News: यूपी के श्रावस्ती जिले में बेसिक शिक्षा विभाग का एक नया कारनामा सामने आया है. बेसिक शिक्षा विभाग ने एक रिक्शा चालक को फर्जी शिक्षक बताते हुए 51 लाख 63 हजार रुपये की रिकवरी नोटिस जारी किया है. आइए जानते हैं पूरा मामला.. 

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Shravasti News, AI PHOTO
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Rahul Mishra|Updated: Dec 22, 2024, 02:34 PM IST
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Shravasti News/संतोष कुमार: श्रावस्ती जिले में बेसिक शिक्षा विभाग की लापरवाही का चौंकाने वाला मामला सामने आया है. विभाग ने गोड़पुरवा गांव के रहने वाले एक रिक्शा चालक को फर्जी शिक्षक घोषित कर 51 लाख 63 हजार रुपये की रिकवरी नोटिस जारी कर दी. यही नहीं, विभाग ने उसके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवा रखी है.

क्या है मामला?
रिकवरी नोटिस के अनुसार, गोड़पुरवा गांव के निवासी मनोहर यादव पर आरोप है कि उन्होंने अम्बेडकर नगर निवासी सुरेंद्र प्रताप सिंह बनकर श्रावस्ती के जमुनहा इलाके के उच्च प्राथमिक विद्यालय नौव्वा पुरवा में सहायक शिक्षक की नौकरी की. विभाग का दावा है कि कूट रचित दस्तावेजों के सहारे नौकरी करने की पुष्टि होने के बाद 2020 में उनके खिलाफ कोतवाली भिनगा में एफआईआर दर्ज कराई गई थी.

पीड़ित की दलील
नोटिस मिलने के बाद से मनोहर यादव न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं. उनका कहना है कि वह बचपन से ही रिक्शा चलाते हैं और अपनी मेहनत की कमाई से परिवार का पालन-पोषण करते हैं. वह कभी शिक्षक बने ही नहीं, फिर उन पर इतने बड़े घोटाले का आरोप कैसे लगाया जा सकता है? नोटिस मिलने के बाद वह सदमे में हैं और उनके पास जुर्माना भरने के लिए कोई साधन नहीं है.

बीएसए का बयान
बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) ने इस मामले पर कहा कि नोटिस जारी किया गया है. यदि मनोहर यादव के पास इस मामले में कोई साक्ष्य हैं, तो वह कार्यालय आकर उन्हें प्रस्तुत कर सकते हैं.

बढ़ रही है पीड़ित की मुश्किलें
मनोहर यादव ने बताया कि वह हर जगह न्याय की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनकी बात सुनने वाला कोई नहीं है. बेसिक शिक्षा विभाग की यह कार्रवाई उनकी ज़िंदगी पर भारी पड़ रही है. इस मामले ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं. लोगों का कहना है कि ऐसे मामलों की सही जांच होनी चाहिए, ताकि निर्दोष लोगों को परेशान न किया जाए.

क्या होगी कार्रवाई?
फिलहाल, पीड़ित मनोहर यादव की हालत गंभीर है. वह न्याय के लिए उच्च अधिकारियों और प्रशासन का दरवाजा खटखटा रहे हैं. अब देखना यह होगा कि क्या विभाग अपनी गलती सुधारता है या फिर पीड़ित को लंबे समय तक न्याय के लिए भटकना पड़ेगा. 

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