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लखनऊ से सीधे पाकिस्तान पर वार की तैयारी! 11 मई को खुलेगा ब्रह्मोस मिसाइल प्लांट

Lucknow Latest News: आतंकी समर्थक पाकिस्तान जैसे देशों को सबक सिखाने में अब लखनऊ भी अहम भूमिका निभाएगा. ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण प्लांट बनकर तैयार है. 11 मई को इसका उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह करेंगे. यह कदम भारत की सामरिक ताकत को और मजबूती देगा.   

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फाइल फोटो
फाइल फोटो
Zee Media Bureau|Updated: May 08, 2025, 09:29 PM IST
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Lucknow Hindi News: भारत की सुरक्षा क्षमता को और मजबूत करने की दिशा में उत्तर प्रदेश एक ऐतिहासिक कदम उठाने जा रहा है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर के लखनऊ नोड पर 11 मई को देश की सबसे घातक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ‘ब्रह्मोस’ की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट का उद्घाटन होगा. 300 करोड़ रुपये की लागत से तैयार इस अत्याधुनिक यूनिट से लखनऊ जल्द ही भारत की सैन्य शक्ति का नया केंद्र बनने जा रहा है.

3.5 वर्षों में निर्माण से उत्पादन तक पहुंची ब्रह्मोस यूनिट
प्रदेश सरकार की मिशन मोड में की गई कार्रवाई का परिणाम है कि दिसंबर 2021 में दी गई भूमि पर सिर्फ 3.5 वर्षों में यह यूनिट तैयार हो गई है. यूपीडा के एसीईओ श्रीहरि प्रताप शाही ने बताया कि सरकार ने ब्रह्मोस के लिए 80 हेक्टेयर भूमि निःशुल्क आवंटित की थी और निर्माण कार्य की लगातार निगरानी की गई. नतीजा, आज यह यूनिट उत्पादन के लिए तैयार है.

डिफेंस सेक्टर में लखनऊ को मिलेगी नई पहचान
ब्रह्मोस के साथ-साथ लखनऊ नोड पर कई अन्य डिफेंस इक्विपमेंट्स के निर्माण की योजना है.इससे उत्तर प्रदेश रक्षा क्षेत्र में एक मजबूत पहचान बनाएगा. यह प्लांट हाई-टेक यूनिट के रूप में उभरेगा, जिससे एयरोस्पेस इंडस्ट्री को नई गति मिलेगी और रक्षा से जुड़ी नई तकनीकों का विकास होगा.

रोजगार और आत्मनिर्भर भारत को मिलेगा बड़ा बल
इस प्रोजेक्ट से 500 इंजीनियर और तकनीशियन सीधे रोजगार पाएंगे, वहीं लगभग 3,000 लोगों को परोक्ष रूप से काम मिलेगा. स्थानीय युवाओं को नई तकनीकी क्षमताओं के साथ उद्योगों में काम करने का अवसर मिलेगा. इससे उत्तर प्रदेश न केवल रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर बनेगा, बल्कि युवाओं को भी सशक्त बनाएगा.

भारत-रूस की साझेदारी का परिणाम है ब्रह्मोस
ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत के DRDO और रूस की NPOM का संयुक्त उद्यम है. इस प्रोजेक्ट में भारत की 50.5% और रूस की 49.5% हिस्सेदारी है. इसका नाम ब्रह्मपुत्र और मॉस्कवा नदियों से प्रेरित है. यह रक्षा क्षेत्र का ऐसा संयुक्त उपक्रम है, जो भारत को वैश्विक स्तर पर तकनीकी और सामरिक रूप से सशक्त बनाता है. 

लखनऊ बनेगा रक्षा उत्पादन का हब
ब्रह्मोस के साथ-साथ 12 अन्य कंपनियों को 117.35 हेक्टेयर भूमि आवंटित की गई है। इनमें एरोलॉय टेक्नोलॉजी जैसी कंपनी भी शामिल है, जिसका निवेश चंद्रयान जैसे अंतरिक्ष मिशनों और फाइटर जेट्स के लिए उपयोगी उत्पादों पर केंद्रित है। इन सभी प्रयासों से लखनऊ गोला-बारूद, मिसाइल सिस्टम, ड्रोन, छोटे हथियार और रक्षा पैकेजिंग जैसे क्षेत्रों में एक प्रमुख केंद्र के रूप में उभरेगा.
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