UP Latest News: अगर आप सावन के पवित्र महीने में पर ऐसे दिव्य स्थल की तलाश में हैं, जहां आस्था, इतिहास और चमत्कार का संगम हो, तो उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में स्थित पृथ्वीनाथ मंदिर आपकी यात्रा का उद्देश्य बन सकता है. यह कोई साधारण मंदिर नहीं, बल्कि आस्था की वह प्राचीन गाथा है, जहां स्वयं महाबली भीम ने शिवलिंग की स्थापना की थी. यह वही शिवलिंग है, जिसे एशिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग माना जाता है.
द्वापर युग से जुड़ा है मंदिर का इतिहास
गोंडा मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर दूर स्थित यह मंदिर न केवल श्रद्धा का केंद्र है, बल्कि इसका इतिहास भी बेहद रोचक है. कहा जाता है कि द्वापर युग में जब पांडव अज्ञातवास पर थे, तब वे अपनी माता कुंती के साथ इसी स्थान पर कुछ समय के लिए रुके थे. यहीं पर भीम ने राक्षस बकासुर का वध किया था.
बकासुर का वध करने के बाद भीम को ब्रह्महत्या का दोष लगा. भगवान श्रीकृष्ण के निर्देश पर भीम ने इस दोष से मुक्ति पाने के लिए शिवलिंग की स्थापना की. तभी से यह स्थान “भीमेश्वर महादेव” के नाम से प्रसिद्ध हुआ, जो बाद में पृथ्वीनाथ मंदिर के नाम से जाना गया.
शिवलिंग की अनोखी बनावट
यहां स्थापित शिवलिंग केवल ऊंचाई में ही नहीं, बल्कि रहस्य और चमत्कार से भी भरपूर है. पुजारियों के अनुसार यह शिवलिंग धरती के नीचे करीब 64 फीट और ऊपर 5 फीट ऊंचा है. शिवलिंग की ऊंचाई इतनी है कि भक्तों को एड़ी उठाकर जलाभिषेक करना पड़ता है. जलाभिषेक का यहां विशेष महत्व बताया गया है.
सपने में हुआ था शिवलिंग का पुनः प्रकट होना
कहते हैं कि समय के साथ यह शिवलिंग धीरे-धीरे जमीन में समा गया था. मुगल काल में जब इस स्थान पर मकान बनाने के लिए खुदाई शुरू हुई, तब खरगूपुर के राजा मानसिंह की अनुमति से पृथ्वीनाथ सिंह नामक व्यक्ति ने खुदाई कराई. उसी रात उसे स्वप्न में शिवलिंग के अस्तित्व का आभास हुआ. अगले दिन खुदाई में सात खंडों वाला शिवलिंग मिला, जिसे पुनः स्थापित कर पूजा-अर्चना शुरू कर दी गई और मंदिर का नाम पृथ्वीनाथ मंदिर पड़ गया.
आस्था का केंद्र बना पृथ्वीनाथ मंदिर
महाशिवरात्रि और सावन मास में इस मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है. गोंडा ही नहीं, आसपास के जिलों से लाखों श्रद्धालु यहां भगवान शंकर के दर्शन और जलाभिषेक करने पहुंचते हैं. कहा जाता है कि यहां सच्चे मन से की गई पूजा हर कष्ट को हर लेती है.
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