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Lucknow News: यूपी में पहली बार डिजिटल अरेस्ट पर 7 साल की सजा, CBI अफसर बनकर महिला डॉक्टर से ठगे थे 85 लाख

FIRST PUNISHMENT DIGITAL CASE: उत्तर प्रदेश में साइबर अपराध के खिलाफ कोर्ट ने सबसे तेज सजा सुनाई है. गुरुवार को लखनऊ की सीजेएम कस्टम कोर्ट ने एक महिला डॉक्टर से डिजिटल गिरफ्तारी का डर दिखाकर 85 लाख रुपये ठगने वाले देवाशीष राय को 7 साल की कैद और जुर्माना की सजा सुनाई है.

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Lucknow News
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Preeti Chauhan|Updated: Jul 18, 2025, 10:27 AM IST
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Lucknow News: खुद को CBI अधिकारी बताकर महिला डॉक्टर को डराने और डिजिटल अरेस्ट की धमकी देकर 85 लाख रुपये की साइबर ठगी करने वाले देवाशीष राय को लखनऊ की अदालत ने सात साल की कठोर सजा सुनाई है.  लखनऊ की सीजेएम कस्टम कोर्ट ने 16 जुलाई 2025 को यह ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए आरोपी पर जुर्माना भी लगाया.  यह यूपी का पहला मामला है, जिसमें डिजिटल अरेस्ट साइबर फ्रॉड में इतनी तेज़ी से सुनवाई पूरी कर दोष सिद्ध किया गया है. यह फैसला सिर्फ 438 दिनों में आया है, जो यूपी में डिजिटल अरेस्ट साइबर ठगी के मामले में सबसे तेज सजा है.

एक साल से भी कम समय में ट्रायल पूरा
अभियुक्त देवाशीष राय को 5 मई 2024 को  गोमतीनगर विस्तार के मंदाकिनी अपार्टमेंट से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने 2 अगस्त 2024 को चार्जशीट दाखिल की और 348 दिन में ट्रायल पूरा कर लिया गया.  गिरफ्तारी के 438 दिन के भीतर अदालत ने सजा सुना दी, जो राज्य में त्वरित न्याय की दिशा में एक उल्लेखनीय मिसाल मानी जा रही है. कोर्ट ने 16 जुलाई 2025 को देवाशीष राय को सात साल की कठोर कारावास और 68,000 रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई. डीसीपी (क्राइम) कमलेश दीक्षित ने इसे साइबर अपराधियों के लिए सख्त संदेश बताया.

कैसे दिया गया अपराध को अंजाम?
उत्तर प्रदेश का पहला ऐसा मामला है जिसमें डिजिटल अरेस्ट के मामले में इतनी तेजी से सजा सुनाई गई है. आरोपी देवाशीष राय को 5 मई 2024 को गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने मात्र 83 दिन के अंदर 2 अगस्त 2024 को मजबूत डिजिटल साक्ष्यों के साथ चार्जशीट कोर्ट में दाखिल कर दी थी. गिरफ्तारी के 438वें दिन, 16 जुलाई 2025 को, लखनऊ कोर्ट ने ट्रायल पूरा कर अभियुक्त को दोषी ठहराते हुए 7 साल की सज़ा सुनाई.डिजिटल माध्यमों का दुरुपयोग कर पीड़िता को मानसिक रूप से पंगु बना दिया गया और भरोसे का लाभ उठाकर रकम हड़पी गई.

जानें पूरा मामला
राजधानी लखनऊ की डॉक्टर सौम्या गुप्ता को ड्यूटी के दौरान 1 मई 2024 को एक फोन कॉल आया. कॉल करने वाले ने खुद को कस्टम अधिकारी बताया था और कहा कि उनके नाम पर एक कार्गो में जाली पासपोर्ट और एमडीएमए मिला है. इसके बाद कॉल एक ऐसे व्यक्ति को ट्रांसफर की गई जिसने खुद को सीबीआई का ऑफिसर बताया. आरोपी ने डॉ. सौम्या गुप्ता को वीडियो कॉल पर डिजिटल अरेस्ट में होने का डर दिखाकर लगातार 10 दिनों तक डराकर रखा. इस दौरान साइबर ठग ने उनसे अलग-अलग खातों में 85 लाख रुपये ट्रांसफर करवा लिए.

कौन है साइबर ठगी को अंजाम देने वाला आरोपी देवाशीष
आरोपी देवाशीष राय गोमतीनगर विस्तार के सुलभ आवास में रहता था, जो मूल रूप से आजमगढ़ का रहने वाला है और उसने इस धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए फर्जी मोबाइल नंबर, फर्जी आधार और सिम कार्ड का का इस्तेमाल  किया था. कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आरोपी ने खुद को सीबीआई अधिकारी बताकर और वीडियो कॉल पर पूछताछ के बहाने पीड़िता को डराया. कोर्ट ने माना कि इस साइबर ठगी के लिए फर्जी फर्म, फर्जी बैंक अकाउंट और आधार के जरिए सिम कार्ड का इस्तेमाल किया  था. कोर्ट ने इसे एक गंभीर और सुनियोजित डिजिटल अपराध बताया, जो आम लोगों में सरकारी एजेंसियों का डर पैदा करके किया जाता है. कोर्ट ने ऐसे अपराधों पर सख्त सजा को जरूरी बताया.

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