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Lucknow News: छांगुर बाबा का स्पेशल 50 टास्क फोर्स, एक इशारे पर हर हुक्म बजाते थे युवक, जानें आलीशान कोठी में बैठ कैसे चलाता था काला साम्राज्य?

Lucknow News: अवैध धर्मांतरण रैकेट के मास्टरमाइंड जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा पर शिकंजा कसता जा रहा है. जैसे-जैसे यूपी एटीएस की टीम पड़ताल कर रही है, वैसे-वैसे नए-नए खुलासे हो रहे हैं. अब पूछताछ में पता चला है कि छांगुर बाबा की स्पेशल 50 टास्क फोर्स भी है. पढ़िए पूरी डिटेल...

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Lucknow News
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Pooja Singh|Updated: Jul 12, 2025, 08:08 AM IST
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Lucknow News: यूपी में अवैध धर्मांतरण रैकेट के मास्टरमाइंड जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा की मुश्किलें बढ़ती जा रही है. बाबा की गिरफ्तारी के बाद जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे छांगुर बाबा के काले साम्राज्य के चौंकाने वाले खुलासे हो रहे हैं. अब पता चला है कि बाबा ने करीब 50 युवकों की एक स्पेशल फोर्स तैयार कर रखी थी, जो उसके एक इशारे पर कुछ भी करने को तैयार थे. 

ये युवक न सिर्फ धर्मांतरण की गतिविधियों में शामिल थे, बल्कि स्थानीय स्तर पर डर, दबाव और हिंसा फैलाने में भी बाबा के हथियार बने हुए थे. ये सभी युवक बाबा की बलरामपुर स्थित आलीशान कोठी में ही रहते थे.

हर जरूरत की चीजें मुहैया कराता था बाबा
इन सभी युवकों के लिए अलग-अलग कमरे, खाना-पीना, कपड़े से लेकर हर जरूरत की चीजें छांगुर बाबा मुहैया करवाता था. कहा जा रहा है कि कोठी में ही इन सभी का ब्रेनवॉश भी किया जाता था. जिसके बाद उन्हें बाबा का आदेश अंतिम फरमान के तौर पर मानना होता था. खुद को छांगुर बाबा एक धर्मगुरु के रूप में पेश करता था. बाबा इन युवकों को आध्यात्मिक सेवक बताया करता था

पूछताछ में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
हालांकि, पूछताछ में पता चला है कि इन सभी को बकायदा ट्रेनिंग दी जाती थी. ये बाबा के इतने वफादार थे कि उनका आदेश फिर चाहे वो कानूनी हो या गैर कानूनी, सभी बना किसी सवाल के मानते थे. इन खुलासों के बाद अब एटीएस इन 50 युवकों की पहचान के साथ ही पृष्ठभूमि और बाबा से जुड़े कार्यों की जांच कर रही है. 

इन सवालों की जवाब तलाश रही ATS
एटीएस इन सवालों के जवाब भी तलाश रही है कि इन युवकों का इस्तेमाल कहां-कहां किया गया? इनकी भूमिका धर्मांतरण के किन-किन मामलों में रही है. सूत्रों का कहना है कि कुछ युवक दूसरे राज्यों से लाए गए थे और उन्हें यहां रखकर मानसिक और वैचारिक रूप से 
ट्रेनिंग दी गई थी. इतना ही नहीं इस बात की भी पड़ताल हो रही है कि क्या इस कमांडो फोर्स का इस्तेमाल किसी अंतरराष्ट्रीय एजेंडे के लिए भी किया गया था या नहीं.

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