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इसरो में साइंटिस्ट बनीं गोंडा की ये बेटी, कोरोना में जॉब छोड़ी, घर पर तैयारी करके रचा इतिहास

Gonda Latest News: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन में गोंडा की बेटी ने अपना लोहा मनवाया है.  जिसका चयन  (ISRO) में वैज्ञानिक के पद पर हुआ हैं. आइए जानते हैं कैसा रहा इसरो तक का सफर.... 

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Gonda Nitika Tripathi
Gonda Nitika Tripathi
Zee Media Bureau|Updated: Mar 30, 2025, 01:33 PM IST
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Gonda Latest News/अतुल कुमार यादव: संघर्ष, समर्पण और सच्ची मेहनत से हर सपना साकार किया जा सकता है. गोंडा जिले के जानकी नगर की रहने वाली नितिका त्रिपाठी ने इस बात को करके दिखाया है. जिनका भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में वैज्ञानिक सहायक पद पर चयनित होकर न केवल अपने परिवार बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन किया है. खास बात यह है कि उन्होंने यह सफलता पूरी तरह घर पर रहकर तैयारी करते हुए हासिल की.

पहले ही प्रयास में बड़ी सफलता
इसरो के आईसीआरबी ने वैज्ञानिक सहायक पद के लिए 112 पदों पर भर्ती परीक्षा आयोजित की थी, जिसमें नितिका ने पहले ही प्रयास में सफलता पाई. अप्रैल में वह इसरो के बेंगलुरु केंद्र में अपनी नई जिम्मेदारी संभालेंगी.

शिक्षा और करियर
नितिका ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा रवि चिल्ड्रेन एकेडमी से पूरी की और 2014 में सीबीएसई बोर्ड से इंटरमीडिएट पास किया. इसके बाद उन्होंने पीएसआईटी कानपुर से ऑनर्स सहित बी.टेक की डिग्री प्राप्त की.

संघर्ष और सफलता की कहानी
नितिका बताती हैं कि उन्हें बचपन से ही कुछ बड़ा करने का जुनून था. उनके बाबा हमेशा कहते थे कि यह लड़की कुछ बड़ा करेगी. पढ़ाई के बाद वह एक निजी कंपनी में नौकरी करने लगी थीं, लेकिन कोरोना काल में जॉब छोड़कर घर लौट आईं. इस दौरान उन्हें स्वास्थ्य समस्याओं का भी सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और घर से ही पूरी लगन के साथ इसरो की परीक्षा की तैयारी की.

परिवार का संबल बना हौसला
नितिका के पिता का नाम देवेशमणि त्रिपाठी हैं जो बहराइच के पोस्ट ऑफिस में क्लर्क के पद पर कार्यरत हैं, देवेशमणि त्रिपाठी ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि मुझे हमेशा भरोसा था कि मेरी बेटी कुछ बड़ा करेगी. हमने हर संभव मदद की और उसने अपनी मेहनत से यह मुकाम हासिल किया.

उनकी मां नीलम त्रिपाठी, जो एक गृहिणी हैं, उन्होंने बताया कि बचपन में नितिका अपनी नानी से कहती थी कि मैं ऐसा क्या करूं जिससे परिवार का नाम रोशन हो. आज उसने अपनी मेहनत और लगन से यह कर दिखाया.

नितिका के जुड़वा भाई नवनीत त्रिपाठी भी उनकी इस सफलता में बड़ा सहारा बने. नितिका कहती हैं कि मुझे जिस भी किताब या सामग्री की जरूरत होती, भाई तुरंत ला देता था. परीक्षा देने जाना हो या कोई और जरूरत हो, वह हमेशा मेरे साथ खड़ा रहा. 

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