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किसी मस्जिद का कोई सर्वे नहीं होगा...सुप्रीम कोर्ट ने लगाया ब्रेक, यूपी पर होगा बड़ा असर

SC order on Places of Worship Act: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को वर्शिप एक्ट के खिलाफ याचिकों पर सुनवाई करते हुए बड़ी टिप्पणी की. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब तक इस मामले पर सुनवाई जारी है किसी और नई याचिका पर सुनवाई नहीं होगी.

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supreme court Places of worship Act
supreme court Places of worship Act
Pradeep Kumar Raghav |Updated: Dec 12, 2024, 06:20 PM IST
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Supreme Court order on Places of Worship Act: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट यानी पूजास्थल कानून पर सुनवाई के दौरान महत्वपूर्ण आदेश दिया है. अदालत ने कहा कि जब तक प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर कोर्ट में मामला लंबित है, तब तक कोई नया मुकदमा दायर नहीं होगा.यहा कोर्ट ने अपने इस ऑब्सर्वेशन को स्पष्ट किया है, यानि कोई नया मुकदमा अदालतें इस दरमियान नहीं सुनेंगी.कोर्ट से मुस्लिम पक्ष ने मांग की थी कि अभी जो मुकदमे लंबित हैं,उन पर रोक लगाई जाए. सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में लिखवाया कि जब विवादित ढांचा विध्वंस के बाद संसद में बने पूजास्थल कानून को लेकर सुनवाई पूरी कर फैसला नहीं हो जाता तब तक कोई अदालत दूसरे ऐसे मामले में  प्रभावी और अंतिम आदेश पास नहीं करेगी. सर्वे का भी आदेश नहीं देगी. कोर्ट के इस आदेश का जौनपुर की अटाला मस्जिद, संभल जामा मस्जिद, बदायूं जामा मस्जिद बनाम नीलकंठ महादेव मंदिर जैसे मामलों में सीधा प्रभाव पड़ेगा. 

गौरतलब है कि पिछले महीने संभल जामा मस्जिद पर चंदौसी कोर्ट ने सर्वे का आदेश दिया था. यहां हिन्दू पक्ष ने श्रीहरिहर मंदिर होने का दावा किया था. कड़ी सुरक्षा के बीच यहां मंदिर में सर्वेक्षण हुआ था, लेकिन सर्वे के आखिरी दिन अफवाहों के बाद हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें पत्थरबाजी, गोलीबारी के बीच चार लोगों की मौत हो गई थी. उधर, जौनपुर की अटाला मस्जिद को लेकर भी कोर्ट ऐसा ही सर्वे आदेश पारित करने की प्रक्रिया में है. बदायूं जामा मस्जिद की जगह भी नीलकंठ महादेव मंदिर होने का दावा ठोका गया है. उत्तर प्रदेश में श्रीकृ्ष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद औऱ काशी विश्वनाथ धाम कॉरिडोर में बने ज्ञानवापी परिसर को पहले ही विवाद हाईकोर्ट में लंबित है. 

सुप्रीम कोर्ट के आदेश ये साफ हो गया है कि वो पूजास्थल कानून की वैधता और व्याख्या कर यह स्पष्ट करेगी कि क्या अयोध्या रामजन्मभूमि विवाद के पटाक्षेप के बाद ऐसे अन्य मंदिर-मस्जिद विवादों पर अदालती प्रक्रिया आगे बढ़ाई जा सकती है या नहीं. क्या ऐसे मामलों में कोर्ट कोई सर्वे आदेश दे सकती है या नहीं. पूजास्थल कानून कहता है कि अयोध्या रामजन्मभूमि के अलावा ऐसे अन्य मामलों में किसी भी धार्मिक स्थल की मौजूदा प्रकृति से कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी.

कोर्ट ने यह तब कहा जब मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के नेतृत्व वाली विशेष पीठ 1991 के  प्लेस ऑफ वर्शिप (स्पेशल प्रोविज़न) एक्ट की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी.  1991 का यह कानून पूजा स्थल के रूप में परिवर्तन पर रोक लगाता है और 15 अगस्त, 1947 को जो धार्मिक चरित्र था, उसे बनाए रखने का प्रावधान करता है.

वर्शिप एक्ट के खिलाफ 6 याचिकाएं
शीर्ष अदालत में अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर याचिका समेत 6 याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनमें मांग की गई है कि उपासना स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की धारा 2, 3 और 4 को रद्द किया जाए. याचिकाओं में यह तर्क दिया गया है कि ये प्रावधान किसी व्यक्ति या धार्मिक समुदाय को उनके उपासना स्थल को फिर से प्राप्त करने के लिए न्यायिक उपायों के अधिकार से वंचित करते हैं.

इस मामले की सुनवाई वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद और संभल में शाही जामा मस्जिद से संबंधित मुकदमों की पृष्ठभूमि में की जाएगी. याचिकाओं में यह दावा किया गया है कि इन मस्जिदों का निर्माण प्राचीन मंदिरों को नष्ट करके किया गया था, और हिंदुओं को इन स्थलों पर पूजा करने की अनुमति दी जानी चाहिए.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में Places of worship Act के खिलाफ 6 याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है. यह सुनवाई गुरुवार दोपहर साढ़े तीन बजे शुरू हुई.  

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