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देश में पहली बार यूपी में AI लगाएगा हादसों पर लगाम, 5 करोड़ वाहन और 3 करोड़ चालकों को सीधा लाभ, जानें क्या है पूरा प्लान

उत्तर प्रदेश में अब जल्द ही सड़क सुरक्षा के लिए एआई का इस्तेमाल किया जाएगा, जिससे न केवल हादसों पर लगाम लगेगी बल्कि परिवहन विभाग की कई सेवाएं भी एआई की मदद से हाईटेक की जाएंगी. इस प्रोजेक्ट के लिए 2025-26 में 10 करोड़ रुपये का बजट भी तय कर दिया गया है.   
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सड़क सुरक्षा क्षेत्र में यूपी रचेगा नया इतिहास
सड़क सुरक्षा क्षेत्र में यूपी रचेगा नया इतिहास

उत्तर प्रदेश अब सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचने जा रहा है. केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) से मंजूरी मिलने के बाद राज्य में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) आधारित पायलट प्रोजेक्ट शुरू होने जा रहा है. खास बात यह है कि देश में इस तरह की पहल करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य बन गया है. इस हाई-टेक प्रोजेक्ट के जरिये सड़क हादसों की सटीक पहचान, खतरनाक ब्लैक स्पॉट का पता लगाने और भविष्य में दुर्घटनाओं को कम करने के लिए रीयल-टाइम डेटा उपलब्ध कराया जाएगा.

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बजट से लेकर तकनीकी साझेदारी तक तैयारियां पूरी
बजट से लेकर तकनीकी साझेदारी तक तैयारियां पूरी

राज्य सरकार ने इस प्रोजेक्ट के लिए वित्तीय वर्ष 2025-26 के बजट में 10 करोड़ रुपये तय किए हैं. इसे सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी आईटीआई लिमिटेड और डाटा एनालिटिक्स विशेषज्ञ कंपनी एमलोजिका मिलकर लागू करेंगी. खास बात यह है कि बड़े पैमाने पर डेटा प्रोसेसिंग का काम इन दोनों कंपनियों द्वारा नि:शुल्क किया जाएगा.

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छह हफ्ते में तैयार होगा पहला एआई मॉडल
छह हफ्ते में तैयार होगा पहला एआई मॉडल

पायलट प्रोजेक्ट का पहला चरण छह सप्ताह का होगा. इस दौरान दुर्घटनाओं की रिपोर्ट, मौसम की स्थिति, वाहन विवरण, ड्राइवर प्रोफाइल और सड़क की संरचना से जुड़े आंकड़े इकट्ठे किए जाएंगे. इन्हीं डाटा सेट्स पर आधारित एआई मॉडल तैयार किया जाएगा, जो दुर्घटनाओं के कारणों का विश्लेषण करेगा और संवेदनशील स्थानों की पहचान करेगा. साथ ही, एक रीयल-टाइम पॉलिसी डैशबोर्ड भी विकसित होगा, जो नीति निर्माण में मदद करेगा. 

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पारदर्शिता और तुरंत कार्रवाई में मदद
पारदर्शिता और तुरंत कार्रवाई में मदद

प्रोजेक्ट की सफलता के बाद परिवहन विभाग की कई डिजिटल सेवाओं को भी एआई से जोड़ा जाएगा. फेसलेस ड्राइविंग लाइसेंस और परमिट जारी करने, आवेदन स्वीकृति, प्रिंटिंग और प्रवर्तन कार्यवाही में एआई का इस्तेमाल होगा. वाहन लोकेशन ट्रैकिंग, मौके पर कार्रवाई, ई-चालान वसूली और दस्तावेज़ सत्यापन भी इसी प्लेटफॉर्म से किया जा सकेगा. इससे धोखाधड़ी की पहचान तुरंत होगी और सभी प्रक्रियाओं में पारदर्शिता आएगी.

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करोड़ों वाहन चालकों को सीधा फायदा
करोड़ों वाहन चालकों को सीधा फायदा

यह एआई नेटवर्क पांच करोड़ वाहनों और तीन करोड़ ड्राइविंग लाइसेंस धारकों को कवर करेगा. सड़क सुरक्षा के साथ-साथ नागरिक सेवाओं में गति और सटीकता बढ़ेगी. विभाग को वास्तविक समय में पर्याप्त डेटा मिलेगा, जिससे नीतियां और अधिक प्रभावी होंगी.

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सड़क सुरक्षा के लिए यूपी बन सकता है राष्ट्रीय मानक
सड़क सुरक्षा के लिए यूपी बन सकता है राष्ट्रीय मानक

पायलट प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद इसकी विस्तृत रिपोर्ट केंद्र सरकार को सौंपी जाएगी, ताकि इस मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर अपनाने की संभावना पर विचार किया जा सके. उत्तर प्रदेश की यह पहल देशभर में सड़क सुरक्षा के लिए एक नया मानक स्थापित कर सकती है.

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Disclaimer
Disclaimer

लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.





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