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Ram Navami 2025: अयोध्या, मिर्जापुर, मेरठ...राम नवमी की धूम, मंदिर में भक्तों का सैलाब, जानें हवन विधि, मुहूर्त और महत्व

Ram Navami 2025: आज चैत्र नवरात्रि का रामनवमी हैं. इस दिन को धूमधाम से सेलिब्रेट किया जा रहा है. सुबह से ही दर्शन के लिए मां के दरबार के बाहर लंबी-लंबी कतारे लगी हुई है. पढ़िए पूरी डिटेल

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Ram Navami 2025
Ram Navami 2025
Pooja Singh|Updated: Apr 06, 2025, 05:36 AM IST
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Ram Navami 2025: यूपी में आज धूमधाम से रामनवमी मनाई जा रही है. इस मौके पर देशभर के भक्त मां के दरबार में हाजिरी लगाने जा रहे हैं. मंदिरों के बाहर लंबी-लंबी कतारे लगी हुई है. सुबह से ही भक्त मां का आशीर्वाद लेने के लिए पहुंचे और विधि विधान से उनका पूजा कर रहे हैं. ऐसे में यहां किसी भी सांप्रदायिक घटना को रोकने के लिए ये तैयारी की गई है. प्रदेश में हाई अलर्ट घोषित किया गया है. सभी जिलों में ड्रोन से निगरानी की जा रही है. यहां सिर्फ परंपरागत रास्तों से ही जुलूस निकालने की इजाजत मिली है. 

रामनवमी को लेकर हाई अलर्ट
जानकारी के मुताबिक, प्रदेश के अयोध्या, लखनऊ, फतेहपुर, मेरठ, बरेली, शाहजहांपुर और आगरा समेत अन्य कई जिलों में रामनवमी को लेकर हाई अलर्ट है. नए रास्तों पर कोई जुलूस निकालने की परमिशन नहीं होगी और पुलिस किसी भी अव्यवस्थित गतिविधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. आपको बता दें, नवरात्रि के 9वें दिन को महानवमी कहते हैं. इस दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है. नवरात्रि में अष्टमी और नवमी दोनों ही बेहद अहम है. इस दिन हवन पूजन की जा सकती है. इसके साथ ही कन्या पूजन करने की भी परंपरा है. 

जानें रामनवमी का शुभ मुहूर्त
मान्यताओं के मुताबिक, रामनवमी पर सुबह नौ से 10.30 बजे तक बहुत लाभकारी मुहूर्त है. पूजन व कन्या पूजन दोनों श्रेष्ठ रहेगा. छह अप्रैल को सूर्योदनी नवमी तिथि शाम 7:26 बजे तक है. इस दिन दुर्गानवमी के साथ रामनवमी भी है. जानकारों की मानें तो लाभामृत मुहूर्त सुबह 9:15 से लेकर 12:23 बजे तक रहेगा. रामनवमी मध्याह्न मुहूर्त 11:08 बजे से 13:39 बजे तक है. यह समय सिर्फ 2 घंटे 31 मिनट के लिए है. 

अष्टमी और नवमी है बेहद खास
कहते हैं ये दोनों दिन हवन पूजन के लिए उत्तम माने गए हैं. ऐसे में सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर साफ-स्वच्छ वस्त्र पहनें. हवन कुंड को साफ कर लें. इसके बाद हवन के लिए साफ-सुथरे स्थान पर हवन कुंड स्थापित करें. पूजा शुरू करने से पहले भगवान गणेश का ध्यान करें. अब गंगाजल का छिड़काव कर सभी देवताओं का आवाहन करें. अब हवन कुंड में आम की लकड़ी, घी और कपूर से अग्नि प्रज्जवलित करें. ऊं गणेशाय नम: स्वाहा मंत्र बोलकर अगली आहुति दें. फिर नौ ग्रहों (ऊं नवग्रहाय नम: स्वाहा) कुल देवता (ऊं कुल देवताय नम: स्वाहा) का ध्यान करें. इसके बाद हवन कुंड में सभी देवी-देवताओं के नाम की आहुति डालें. 

ध्यान करते हुए डालें आहुति
धार्मिक मान्यताओं की मानें तो हवनकुंड में कम से कम 108 बार आहुति डालनी चाहिए. देवी दुर्गा के नौ रूपों का ध्यान करते हुए आहुति डालें. अंत में बची हुई हवन सामग्री को एक पान के पत्ते पर इकट्ठा कर पूड़ी, हलवा, चना, सुपारी, लौंग रख कर आहुति डालें. फिर पूरी श्रद्धा के साथ मां की आरती करें और पूड़ी, हलवा, खीर या श्रद्धानुसार भोग लगाएं. आचवनी करें. क्षमा प्रार्थना करें. फिर सभी को आरती दें और प्रसाद खिलाएं.

डिस्क्लेमर: लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की जिम्मेदारी हमारी नहीं है.एआई के काल्पनिक चित्रण का जी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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