Shubhanshu Shukla: ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में जाने के बाद पहली बार अपने परिवार के लोगों से गुरुवार को बात की. लखनऊ के त्रिवेणी नगर स्थित उनके घर पर एक भावुक क्षण था. इस दौरान उन्होंने अपनी मां को अंतरिक्ष से सूर्योदय का नजारा दिखाया और अपने अनुभव साझा किए. इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन की वर्चुअल सैर भी कराई.यह बातचीत एक्सिऑम स्पेस, नासा और स्पेस एक्स के एक्स-4 चालक दल ने नासा के टीडीआरएस नेटवर्क के माध्यम से की.अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन में मौजूद शुभांशु शुक्ला (Shubhanshu Shukla) ने विभिन्न स्कूलों के छात्रों से बातचीत की. सात दिन पहले स्पेस स्टेशन पहुंचे शुभांशु ने वहां के अनुभव छात्रों से शेयर किए.
परिवार को दिखाया सूर्योदय का नजारा
लखनऊ के त्रिवेणी नगर स्थित शुभांशु ने परिवार के साथ करीब पंद्रह मिनट बातचीत की. पिता शंभूदयाल शुक्ला, मां आशा शुक्ला व बड़ी बहन शुचि मिश्रा त्रिवेणीनगर स्थित आवास से जुड़ीं. शुभांशु ने अपनी बहन के बच्चों वैश्विक और वानिका से भी बात की. सबसे बड़ी बहन निधि मिश्रा नोएडा एवं शुभांशु की पत्नी कामना शुक्ला अमेरिका के अटलांटा से जुड़ीं. परिवार के साथ शुभांशु शुक्ला ने अपने तमाम अनुभव साझा किए. शुभांशु ने परिजनों को अन्तरारष्ट्रीय स्पेस स्टेशन की वर्चुअल सैर कराई. थ ही यह भी दिखाया कि आसमान से धरती कैसी दिखती है. बातचीत के समय ही सूर्योदय हो रहा था. शुभांशु ने अंतरिक्ष से सूर्योदय का नजारा दिखाया.
शुभांशु ने अपने परिवार को बताया कि शुरुआत के दो दिन अंतरिक्ष में अटपटा लगा. स्पेस स्टेशन 28 हजार 163 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से धरती के चक्कर लगा रहा है. हर 90 मिनट में यह पृथ्वी का एक चक्कर पूरा कर लेता है. इस दौरान उनको 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखने का मौका मिलता है.
शुभांशु शुक्ला ने छात्रों से की बात
शुभांशु शुक्ला ने विभिन्न स्कूलों के छात्रों से अपने इस अविस्मरणीय सफर के अनुभव शेयर किए. बच्चों ने ये जानना चाहा कि अंतरिक्ष यात्री क्या खाते हैं? कैसे सोते हैं? इन तमाम सवालों के जवाब भी उन्होंने दिए. अंतरिक्ष यात्री कैसे सोते हैं, इस बारे में पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि यह वास्तव में मजेदार है... इसलिए अगर आप स्टेशन (ISS) पर आते हैं, तो आप पाएंगे कि कोई दीवारों पर सो रहा है, कोई छत पर सो रहा है. उन्होंने कहा, ''ऊपर तैरना और खुद को छत से बांधना बहुत आसान है. चुनौती भरी ये बात है कि आप जब जागे तो आप उसी स्थान पर मिलें, जहां आप रात में सोए थे. यह बहुत जरूरी है कि हम अपने ‘स्लीपिंग बैग’ बांध लें ताकि हम बहकर कहीं और न पहुंचे जाएं. शुभांशु शुक्ला ने उन्हें बताया कि अंतरिक्ष यात्रियों को स्पेस स्टेशन में मनोरंजन के लिए बहुत कम समय मिलता है. लेकिन कुछ देर वो खेलते हैं. शुभांशु से पूछा गया कि अंतरिक्ष यात्री क्या खाते हैं तो उन्होंने कहा कि ज्यादातर खाना पहले से पैक किया हुआ होता है.यह पर्याप्त ध्यान रखा जाता है कि उन्हें पर्याप्त पोषण मिले.