Lucknow News: उत्तर प्रदेश के शहरी इलाकों में रहने वाले लोगों के लिए एक अहम खबर है.अब चौड़ी सड़कों के किनारे मौजूद आवासीय भूखंडों का पूरी तरह से व्यावसायिक उपयोग नहीं किया जा सकेगा. राज्य सरकार ने यूपी विकास प्राधिकरण भवन निर्माण एवं विकास उपविधि-2025 के तहत पहली बार आवासीय भूखंडों के मिश्रित उपयोग की सशर्त अनुमति दी है, लेकिन इसके साथ ही कई कड़े नियम भी तय किए हैं.
कितने प्रतिशत क्षेत्र में व्यावसायिक निर्माण की अनुमति
नए नियमों के मुताबिक, वर्ष 2011 की जनगणना के आधार पर 10 लाख से कम आबादी वाले नगरों में 18 मीटर और 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में 24 मीटर चौड़ी सड़क के किनारे स्थित आवासीय भूखंडों पर अधिकतम 49 प्रतिशत क्षेत्र में ही व्यवसायिक निर्माण की अनुमति दी जाएगी. बाकी 51 प्रतिशत हिस्सा अनिवार्य रूप से आवासीय उपयोग के लिए सुरक्षित रखना होगा.
33-34% का रुल होगा लागू
अगर भूखंड पर दुकान के साथ कार्यालय खोलना है, तो निर्माण का बंटवारा कुछ इस तरह होगा—33% दुकान, 33% कार्यालय और शेष 34% हिस्सा सिर्फ घरेलू उपयोग के लिए आरक्षित रहेगा.
रिहायशी इलाकों में संतुलन बनाने की दिशा में बड़ा कदम
गौरतलब है कि मिश्रित उपयोग के लिए भूखंड के न्यूनतम आकार की कोई बाध्यता नहीं रखी गई है, लेकिन व्यावसायिक इस्तेमाल की अधिकतम सीमा जरूर तय कर दी गई है.यह कदम तेजी से व्यवसायिक होते जा रहे रिहायशी इलाकों में संतुलन बनाए रखने की दिशा में बड़ा फैसला माना जा रहा है.
सरकार ने स्पष्ट किया है कि ऐसे भवनों की ऊंचाई पर कोई रोक नहीं होगी, लेकिन एफएआर (फ्लोर एरिया रेशियो) और पार्किंग के मानकों का सख्ती से पालन करना अनिवार्य होगा.
इस नई व्यवस्था से एक ओर जहां शहरी अव्यवस्था पर नियंत्रण की उम्मीद है, वहीं दूसरी ओर रिहायशी इलाकों की मूल पहचान भी सुरक्षित रह सकेगी.
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