Mathura News: श्रद्धालुओं की सुविधाओं को लेकर लंबे समय से प्रस्तावित बांके बिहारी मंदिर कॉरिडोर को अब सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. शीर्ष अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार को मंदिर ट्रस्ट के 500 करोड़ रुपये की सावधि जमा राशि से मंदिर के पास की 5 एकड़ भूमि अधिग्रहित करने की अनुमति दे दी है. कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अधिग्रहित भूमि देवता/मंदिर ट्रस्ट के नाम पर पंजीकृत की जाएगी.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से आई थी अड़चन
जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी और जस्टिस एससी शर्मा की पीठ ने राज्य सरकार की विकास योजना का संज्ञान लेते हुए यह फैसला सुनाया. इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मंदिर के धन का उपयोग भूमि खरीद में करने पर रोक लगा दी थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने संशोधित कर अब मंजूरी दे दी है.
2022 में भगदड़ के बाद सरकार ने बनाई थी योजना
गौरतलब है कि वर्ष 2022 में मंदिर में भगदड़ की दर्दनाक घटना के बाद यह कॉरिडोर परियोजना सामने आई थी. राज्य सरकार ने इस परियोजना के तहत 500 करोड़ रुपये की लागत से मंदिर क्षेत्र में जनसुविधाओं के विस्तार और बेहतर प्रशासन की योजना बनाई है.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि ब्रज क्षेत्र के मंदिरों में कुप्रशासन और व्यवस्थागत कमियों को देखते हुए प्रभावी प्रशासन न सिर्फ कानूनी आवश्यकता है, बल्कि यह जन कल्याण और श्रद्धालुओं की सुरक्षा से भी जुड़ा मामला है.
अब जब मंदिर कॉरिडोर को कानूनी हरी झंडी मिल गई है, उम्मीद की जा रही है कि वृंदावन आने वाले लाखों भक्तों को जल्द ही बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और बांके बिहारी के दर्शन करना आसान और आनंददायक होंगे.
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