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लठमार नहीं लड्डू मार होली...यूपी के इस प्राचीन मंदिर में अनोखी होली, ऊंची पहाड़ी पर होता है उत्सव

Laddu Holi 2025: होली के त्योहार आने में यूं तो अभी कई दिन बाकी हैं लेकिन मथुरा के ब्रज में होली कब की शुरू हो चुकी है. यहां की फूलों वाली होली, लड्डू मार होली और लठ्ठ मार होली जग प्रसिद्ध हैं. लड्डू मार होली ब्रज के राधा रानी मंदिर में खेली जाती है..आइये जानते हैं इसका लड्डू मार होली और इस मंदिर का रोचक इतिहास.

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लठमार नहीं लड्डू मार होली...यूपी के इस प्राचीन मंदिर में अनोखी होली, ऊंची पहाड़ी पर होता है उत्सव
Pradeep Kumar Raghav |Updated: Mar 04, 2025, 07:33 PM IST
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Laddu Holi 2025: मथुरा के बरसाना में स्थित राधा रानी लाडली मंदिर  केवल एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि प्रेम और भक्ति का प्रतीक भी है. इस मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को करीब 200 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं,  लेकिन जब वे मंदिर के द्वार पर पहुंचते हैं, तो भक्तिभाव और दिव्यता का अनुभव करते हैं।  

लड्डू मार होली और इसकी परंपरा
बरसाना का लड्डू मार होली उत्सव दुनियाभर में प्रसिद्ध है. होली की शुरुआत यहां लड्डू उड़ाने से होती है, जो राधा-कृष्ण के प्रेम का प्रतीक माना जाता है. मंदिर के सेवायत पहले श्रद्धालुओं पर लड्डू फेंकते हैं, फिर भक्तगण भी एक-दूसरे पर लड्डू फेंककर इस त्योहार का आनंद लेते हैं.

इस परंपरा के पीछे मान्यता है कि भगवान कृष्ण और उनके सखाओं ने नंदगांव से बरसाना आकर गोपियों के साथ होली खेलने का न्योता स्वीकार किया था. इसे प्रतीकात्मक रूप में हर साल मनाया जाता है. इस अनोखी होली में लाखों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं, जो गुलाल उड़ाते हैं, लड्डू बरसाते हैं और भक्ति में झूम उठते हैं.

343 साल पुराना है यह मंदिर
राधा रानी मंदिर को लाडली जी का मंदिर भी कहा जाता है. इतिहास के पन्नों में झांकें तो यह करीब 343 साल पुराना मंदिर है, जिसे राजा वीरसिंह ने बनवाया था. यह मंदिर ढाई सौ मीटर ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, जहां से पूरे बरसाना का विहंगम दृश्य दिखाई देता है.

मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को 200 से ज्यादा सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं.  सीढ़ियों के तल पर वृषभानु महाराज का महल भी स्थित है.  मंदिर का निर्माण  लाल बलुआ पत्थर से हुआ है और इसकी दीवारों पर सुंदर नक्काशी, गुंबद, मेहराब और मोहक चित्र उकेरे गए हैं. 

जब गोपियां बरसाती हैं प्रेम के लठ्ठ 
लड्डू होली के अगले दिन बरसाना में लठ्ठमार होली खेली जाती है. इस दौरान गोपियां लठ्ठ और गुलाल से हुरियारों का स्वागत करती हैं. और फिर कृष्ण की टोली और गोपियां लठ्ठमार होली खेलते हैं. यह नज़ारा देखने के लिए देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु बरसाना पहुंचते हैं. 

राधा रानी मंदिर से जुड़ी खास बातें 
मंदिर का शिखर सोने का बना है.
यहां राधाष्टमी का त्योहार भव्य तरीके से मनाया जाता है.
मंदिर को फूलों और फलों से सजाया जाता है.
राधा जी को छप्पन भोग अर्पित किए जाते हैं, जिसे सबसे पहले मोरों को खिलाया जाता है.
यहां जन्माष्टमी, राधाष्टमी और होली का विशेष आयोजन होता है.
मंदिर के पास ही अष्टसखी मंदिर स्थित है. 

बरसाना का रंगोत्सव
बरसाना की होली सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि राधा-कृष्ण के अमर प्रेम की जीवंत झलक है. यहां  लड्डू, गुलाल और भक्ति का अनोखा संगम देखने को मिलता है, जो हर भक्त को प्रेम और आनंद से भर देता है. तो अगर आप भी इस अद्भुत नज़ारे का हिस्सा बनना चाहते हैं, तो इस बार होली में बरसाना जरूर जाएं.

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