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बेइमानी से कमाए धन.... संत प्रेमानंद महाराज की रिश्वतखोरों को दो-टूक चेतावनी

जब देशभर में रिश्वतखोरी के मामले लगातार सामने आ रहे हैं और एंटी करप्शन विभाग की कार्रवाई तेज है, ऐसे वक्त में संत प्रेमानंद महाराज का भावनात्मक और सशक्त संदेश दिल को छू जाने वाला है. आइए जानते हैं उन्होंने बेइमानी से कमाए धन को लेकर क्या कहा?

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संत प्रेमानंद का भावनात्मक संदेश
संत प्रेमानंद का भावनात्मक संदेश

संत प्रेमानंद महाराज ने रिश्वतखोरी के बढ़ते मामलों पर गहरी चिंता जताते हुए स्पष्ट कहा कि बेईमानी से कमाया गया पैसा कभी भी परिवार में सुख नहीं ला सकता. उन्होंने बताया कि ऐसा धन केवल दुख और अशांति का कारण बनता है.

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एक व्यक्ति की सच्ची कहानी
एक व्यक्ति की सच्ची कहानी

एक व्यक्ति ने संत प्रेमानंद महाराज से मिलकर बताया कि उसने कभी रिश्वत न लेने का संकल्प लिया था, लेकिन हालातों में बहक कर उसने रिश्वत ले ली. इसके बाद से उसके घर में लगातार परेशानियां बढ़ती रहीं. न तो मानसिक शांति रही, न पारिवारिक सुख. यह उदाहरण दर्शाता है कि अधर्म से प्राप्त धन अंततः जीवन में असंतुलन और दुःख ही लाता है.

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अधर्म का धन अशांति का कारण
अधर्म का धन अशांति का कारण

संत प्रेमानंद महाराज ने उस व्यक्ति को जवाब देते हुए कहा कि अधर्म से प्राप्त धन भले ही देखने में सुखद लगे, लेकिन वह अंदर से जीवन को खोखला कर देता है. उन्होंने यह भी कहा कि वेतन कम हो तो भी ईमानदारी से कमाना चाहिए, क्योंकि सच्चा सुख और आत्मशांति सिर्फ धर्म से प्राप्त धन से ही मिलती है. बेईमानी का फल कभी भी सुखद नहीं होता.

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सादा जीवन, उच्च विचार
सादा जीवन, उच्च विचार

संत ने उदाहरण देते हुए कहा कि भले ही बेईमानी से कार खरीद ली जाए, लेकिन एक दिन वही कार दुर्घटना का कारण बन सकती है. इसके विपरीत साइकिल चलाकर ईमानदारी से जीया गया जीवन बेहतर है. दाल-रोटी में भी वही शांति है जो किसी महंगे भोजन में नहीं, बशर्ते वह धन धर्म से कमाया गया हो. सादा जीवन जीकर ईमानदारी अपनाने का संदेश उन्होंने स्पष्ट रूप से दिया.

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रिश्वत से क्षणिक लाभ, दीर्घकालिक हानि
रिश्वत से क्षणिक लाभ, दीर्घकालिक हानि

रिश्वतखोरी से व्यक्ति को भले ही तात्कालिक रूप से कुछ लाभ दिखे, लेकिन दीर्घकाल में यह केवल मानसिक तनाव, पारिवारिक कलह और सामाजिक अपमान का कारण बनता है. संत प्रेमानंद महाराज का यह कहना कि अधर्म का धन केवल दुख देगा, एक गहरी सच्चाई है जो समाज को अपनी सोच बदलने पर मजबूर कर सकती है.





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