मथुरा: वृंदावन (मथुरा) के श्री बांके बिहारी जी मंदिर का प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सुविधाओं की जिम्मेदारी ''श्री बांके बिहारीजी मंदिर न्यास'' के हाथों में होगी. जिसमें 11 ट्रस्टी नामित किए जाएंगे, जबकि 7 सदस्य पदेन हो सकेंगे. सभी सरकारी और गैर सरकारी सदस्य सनातन धर्म को मानने वाले होंगे. इस संबंध में राज्यपाल की ओर से अध्यादेश जारी कर दिया गया है. इसमें स्पष्ट किया गया है कि न्यास के जरिये मंदिर की धार्मिक या सांस्कृतिक परंपराओं में सरकार हस्तक्षेप नहीं करेगी.
अध्यादेश में क्या?
अध्यादेश के मुताबिक, न्यास का मकसद स्वामी हरिदास के समय से चले आ रहे रीति-रिवाजों, परंपराओं, त्योहार-समारोहों, व्रत एवं अनुष्ठानों के अनुरूप बिना किसी हस्तक्षेप या परिवर्तन के मंदिर में पीठासीन देवता व अन्य देवाओं की पूजा, अर्चना एवं पद्धतियों की निरंतता सुनिश्चित करना है.
क्या है मकसद?
हालांकि, इसके तहत दर्शन का समय निर्धारित करना, पुजारियों की नियुक्ति करना, उनके वेतन या आगुंतकुों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने के उपाय नहीं रोके जा सकते. इसका मकसद तीर्थयात्रियों, श्रद्धालुओं और आगंतुकों को विश्वस्तरीय सुख-सुविधाएं उपलब्ध कराना है.
राज्य सरकार करेगी नियुक्ति
न्यासी बोर्ड के न्यासियों की नियुक्ति राज्य सरकार करेगी. इसमें दो तरह के न्यासी होंगे-नाम निर्दिष्ट और पदेन न्यासी. नामित न्यासियों में वैष्णव परंपराओं, संप्रदायों या पीठों से सबंधित तीन प्रतिष्ठित व्यक्ति और सनातन धर्म की अन्य परंपराओं, संप्रदायों या पीठों से संबंधित तीन संत, मुनि, गुरु, विद्वान, मठाधीश, महंत, आचार्य व स्वामी शामिल किए जाएंगे.
इसके अलावा नामित न्यासियों में सनातन धर्म की किसी भी शाखा से संबंधित तीन शिक्षाविद, विद्वान, उद्ममी व समाजसेवा आदि होंगे. मंदिर में सेवारत गोस्वामी परंपरा से दो सदस्य होंगे, जो स्वामी श्री हरिदास जी के वंशज हों. इनमें एक राज भोग सेवायतों का प्रतिनिधित्व करेगा और दूसरा शयन भोग सेवायतों का. इनकी नियुक्ति इसके लिए प्राप्त नामांकनों के आधार पर की जाएगी.
नामित न्यासियों का 3 साल होगा कार्यकाल
पदेन न्यासियों में मथुरा के डीएम, एसएसपी व नगर आयुक्त, उत्तर प्रदेश ब्रज तीर्थ विकास परिषद के सीईओ, धर्मार्थ कार्य विभाग का एक अधिकारी, श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट सीईओ र राज्य सरकार की ओर से नियुक्त सदस्य शामिल होंगे. नामित न्यासियों का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा. कोई न्यासी दो बार लगातार (अनुक्रमश:) नियुक्त नहीं किया जाएगा. साथ ही कोई न्यासी दो बार से अधिक नियुक्त नहीं किया जा सकेगा.
अध्यादेश में कहा गया है कि सभी न्यासी हिंदू होंगे और सनातन धर्म को मानने वाले होंगे. कोई भी गैर हिंदू व्यक्ति नाम निर्दिष्ट न्यासी के रूप में नियुक्त नहीं किया जा सकेगा. जहां पदेन न्यासी के रूप में नियुक्त व्यक्ति सनातन धर्म से संबंधित नहीं हो या जहां हिंदू हो, पर व्यक्तिगत विश्वासों के कारण न्यासी का दायित्व निभाने में असमर्थ हो, ऐसी स्थिति में उस व्यक्ति से कनिष्ठ व्यक्ति को नियुक्त किया जाएगा। नियुक्ति में जाति या लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं होगा.
बोर्ड के सभी संकल्प साधारण बहुमत से पारित किए जाएंगे। बोर्ड के सदस्य ऐसी धनराशि के लिए जवाबदेह होंगे, जो उनके हाथ में हों. 20 लाख रुपये तक की चल व अचल संपत्तियां खरीदना, किराये पर लेना या पट्टे पर लेना बोर्ड की शक्तियों में शामिल होगा. लेकिन, इससे ज्यादा मूल्य की संपत्ति लेने के लिए राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति आवश्यक होगी.
बोर्ड राज्य सरकार की पूर्व स्वीकृति प्राप्त करने के बाद मंदिर और ट्रस्ट की किसी चल व अचल संपत्ति के संबंध में विक्रय करने, उपहार देने या विनिमय करने या किसी भी प्रकार के किसी तीसरे पक्ष का अधिकार सृजित करने के लिए मुख्य कार्यपालक अधिकारी द्वारा किए गए प्रस्ताव को मंजूरी दे सकता है. न्यास की कोई भी संपत्ति अन्य संपत्ति में बदली जा सकती है, बर्शते वह इस अध्यादेश के उपबंधों के अनुरूप हो.
किसी भी वित्तीय मामले में खाते में त्रुटि या शिकायत पाए जाने पर राज्य सरकार को स्वतंत्र रूप से ट्रस्ट की लेखा पुस्तकों का निरीक्षण एवं लेखा परीक्षा कराने का अधिकार होगा. यह लेखा परीक्षा उत्तर प्रदेश राज्य के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के कार्यालय द्वारा या किसी स्वतंत्र एवं प्रतिष्ठित लेखा परीक्षा फर्म से कराई जा सकती है. ट्रस्ट का मुख्य कार्यपालक अधिकारी अपर जिला मजिस्ट्रेट या उसके समकक्ष होगा.
स्वतंत्र होगा ट्रस्ट
न्यास का उद्देश्य मंदिर की संपत्तियों को सरकार के अधीन करना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि वित्तीय पारदर्शिता बनी रहे. ट्रस्ट एक स्वायत्त और स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाला निकाय होगा. उसे किसी भी मामले में राज्य सरकार की पूर्व मंजूरी या प्राधिकार की आवश्यकता नहीं होगी, जब तक कि विशेष रूप से कोई उपबंध नहीं किया गया हो. न्यास वित्तीय रूप से भी स्वतंत्र होगा.
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