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संजीव बालियान भड़के, सीएम योगी की लिखी चिट्ठी और अब अमित शाह से मुलाकात, बोले-मुझे कुछ हुआ तो अफसर जिम्मेदार

Muzaffarnagar News: मुजफ्फरनगर के पूर्व भाजपा सांसद डा. संजीव बालियान की वाई श्रेणी की सुरक्षा वापस ले ली गई है. उनके ए-टू जेड कॉलोनी स्थित घर से गार्ड, एस्कार्ट और गनर को भी वापस बुला लिया गया है. इसको लेकर पूर्व केन्द्रीय राज्यमंत्री ने मुख्यमंत्री योगी को पत्र लिखकर आपत्ति दर्ज कराई है. बालियान ने कहा कि अगर उन पर जानलेवा हमला हुआ तो इसके लिए अधिकारी जिम्मेदार होंगे.

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संजीव बालियान भड़के, सीएम योगी की लिखी चिट्ठी और अब अमित शाह से मुलाकात, बोले-मुझे कुछ हुआ तो अफसर जिम्मेदार
Pradeep Kumar Raghav |Updated: Jan 14, 2025, 12:49 PM IST
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Muzaffarnagar/Amit Dubey: भाजपा के पूर्व केंद्रीय मंत्री डॉ. संजीव बालियान ने अपनी सुरक्षा हटाए जाने पर नाराजगी जताई है. उन्होंने कहा कि उनकी सुरक्षा बिना सूचना के हटा ली गई, जो पूरी तरह से गलत है. मुजफ्फरनगर के पूर्व सांसद बालियान ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर इस फैसले का विरोध किया और कहा कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने की वजह से यह कदम उठाया गया है. उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि अगर उनके साथ कोई घटना होती है, तो इसके लिए राज्य सरकार के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा. 

बालियान ने सुरक्षा हटाए जाने की बताई वजह
बालियान ने बताया कि वह मंदिर और धर्मशाला से जुड़े एक विवाद को लेकर ग्रामीणों के साथ मंसूरपुर थाने पहुंचे थे. उनका आरोप है कि डिस्टलरी ने पुलिस की मदद से गांव की जमीन पर कब्जा कर लिया और ग्रामीणों पर फर्जी मुकदमे दर्ज कराए. जब अधिकारियों ने उनकी बात नहीं सुनी, तो उन्होंने धरना दिया. इसके बाद रातों रात उनकी सुरक्षा वापस ले ली गई. 

पुलिस का बयान 
एसएसपी अभिषेक सिंह ने कहा कि नियमों के तहत बालियान को एक गनर दिया जाएगा, लेकिन पूर्व मंत्री का कहना है कि एक केंद्रीय मंत्री के साथ ऐसा व्यवहार भाजपा के अन्य कार्यकर्ताओं के लिए चिंता का विषय है. उन्होंने कहा, "मेरी सुरक्षा की जिम्मेदारी जनता के हाथ में है. लेकिन पुलिस का ऐसा रवैया भाजपा कार्यकर्ताओं के मनोबल को कमजोर कर सकता है."

बालियान ने यह भी कहा कि वह इस मामले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलेंगे. उनका कहना है कि सरकार कार्यकर्ताओं की वजह से बनी है, न कि अधिकारियों की वजह से. 

इस पूरे मामले में पूर्व मंत्री का कहना है कि उनकी लड़ाई सरकार से नहीं, बल्कि भ्रष्ट अधिकारियों के रवैये के खिलाफ है. वहीं, यह विवाद सियासी गलियारों में भी चर्चा का विषय बना हुआ है.

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