Meerut Nauchandi Mela: पश्चिमी यूपी का फेमस नौचंदी मेला शुरू हो गया. 26 मई से शुरू हुआ ऐतिहासिक नौचंदी मेले में अब रौनक बढ़ने लगी है. सवा महीने चलने वाले नौचंदी मेले में पहली बार सीसीटीवी कैमरे से निगरानी की जा रही है. मेरठ का नौचंदी मेला अपने आप में विरासत के तौर पर जाना जाता है. 352 साल पहले इस मेले की शुरुआत हुई थी. आइये जानते हैं मेरठ के ऐतिहासिक नौचंदी मेले का इतिहास....
नौचंदी मेले का इतिहास
जानकारी के मुताबिक, साल 1673 से मेरठ में मां चंडी देवी के नाम से लगने वाला ऐतिहासिक नौचंदी मेला लगता चला आ रहा है. नौचंदी मेले की परंपरा 352 साल से भी ज्यादा पुरानी बताई जाती है. सालों पहले यह मेला नवरात्रि के समय लगता था. उस समय एक दिन का मेला लगता था. फिर यह मेला तीन दिन का लगने लगा. अब यह मेला पूरे सवा महीने तक लगता है. नौचंदी मेले में आसपास के जिले ही नहीं देश के कोने-कोने से लोग मेठर पहुंचते हैं. यही वजह है कि प्रदेश सरकार की ओर से इसे प्रांतीय मेला घोषित किया गया है.
एक तरफ मां चंडी देवी का मंदिर, दूसरी तरफ मजार
मेरठ के नौचंदी मेले के उद्घाटन की परंपरा भी अनोखी है. मेले का उद्घाटन सैकड़ों साल पुरानी परंपरा के अनुसार होता है. होली के बाद आने वाले दूसरे रविवार को किया जाता है. हालांकि, इस बार मेले की शुरुआत मई महीने में की गई. भले ही मेरठ में कई दंगे हुए हों, लेकिन नौचंदी मेले पर कभी भी इसका असर नहीं पड़ा. मेला परिसर में ही एक तरफ जहां मंदोदरी द्वारा स्थापित मां चंडी देवी मंदिर है. वहीं उसके सामने वाले मियां की मजार है.
मेरठ की समृद्ध को दर्शाता है नौचंदी मेला
मेरठ का नौचंदी मेला एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक और धार्मिक आयोजन बन गया है. मेले में विभिन्न प्रकार की दुकानें, मनोरंजन के साधन और सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं. नौचंदी मेले का महत्व न केवल धार्मिक और सांस्कृतिक है, बल्कि यह मेरठ की समृद्ध विरासत और इतिहास को भी दर्शाता है. यह मेला स्थानीय कला, शिल्प और व्यंजनों को भी प्रोत्साहित करता है.
डिस्क्लेमर
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