राजेश मिश्र/मिर्जापुर: मिर्जापुर के 255 प्राथमिक विद्यालयों में संकट के बादल मंडरा रहे हैं. इन स्कूलों में 50 से कम बच्चे हैं. ऐसे में इन्हें बंद किया जा सकता है. इन स्कूलों के बंद किए जाने के फैसले का उत्तर प्रदेशीय शिक्षक संघ ने विरोध किया है. शिक्षक संघ का कहना है कि प्राइवेट स्कूलों को मान्यता देकर सरकारी विद्यालयों को मर्ज कर बंद किया जा रहा है. इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.
शिक्षक संघ ने कलेक्ट्रेट में दिया धरना प्रदर्शन
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ से जुड़े दर्जन भर लोग शुक्रवार को कलेक्ट्रेट पहुंचे. यहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नाम एक ज्ञापन भी सौंपा. शिक्षक संघ ने स्कूलों के मर्ज को शिक्षा के अधिकार अधिनियम-2009 एवं बाल अधिकार के विपरीत एवं विधि विरुद्ध बताया. अधिनियम में प्राविधान है कि प्रत्येक बच्चे के घर के 1 किलोमीटर की परिधि में 300 की आबादी पर प्राथमिक विद्यालय और 3 किलोमीटर की परिधि और 800 की आबादी पर उच्च प्राथमिक विद्यालय होने की व्यवस्था है. लगातार तमाम ऐसे कारण उत्पन्न हुए जिसकी वजह से कुछ जगहों पर छात्र संख्या कम हो गई. इसका मुख्य कारण परिषदीय विद्यालयों के निकट ही निजी विद्यालयों को नियम विरुद्ध मान्यता दिया जाना है.
स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति नहीं
शिक्षक संघ का कहना है कि प्रत्येक विकास खंड में कतिपय विद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति न होने के कारण विद्यालय एकल या बंद चल रहे हैं. वहीं, दूसरी तरफ शिक्षकों से तमाम गैर शैक्षाणिक कार्य लिए जा रहे हैं. पिछले कई वर्षों में नित्य नए प्रयोगों के चलते बेसिक शिक्षा को प्रयोगशाला बना देने से ऐसी स्थितियों उत्पन्न हुई है.
बच्चों से दूर हो जाएगी प्राथमिक शिक्षा
शिक्षक संघ ने आरोप लगाया कि गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों को बंद करने में विभागीय अधिकारी रुचि नहीं ले रहे हैं. इससे दिन-प्रतिदिन गैर मान्यता प्राप्त विद्यालयों की बाढ़ आ गई है. गांव एवं गरीबों बच्चों की शिक्षा का मुख्य आधार यही परिषदीय विद्यालय हैं. इन्हें मर्ज करके विद्यालयों को शिफ्ट किया गया तो प्राथमिक शिक्षा छोटे-छोटे बच्चों से दूर हो जाएगी. शिक्षा हर बच्चे का मौलिक अधिकार है. विद्यालय दूर होने से शिक्षा ग्रहण करने पर निश्चित रूप से बहुत बुरा असर पड़ेगा.
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