Sonbhadra/Santosh Jaiswal: सोनभद्र जिले में 15 साल पहले हुए नक्सली हत्याकांड में अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया है. अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम जीतेन्द्र कुमार द्विवेदी की अदालत ने दुर्दंत नक्सली मुन्ना विश्वकर्मा और अजीत कोल को दोषी करार देते हुए उन्हें उम्रकैद और 20-20 हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है. जुर्माना न देने की स्थिति में दोनों को 4-4 महीने की अतिरिक्त कैद भी काटनी होगी.
क्या है पूरा मामला ?
घटना 3 दिसंबर 2009 की है. चौकीदार का बेटा अजय कुमार पासवान ने पुलिस को सूचना दी थी कि कोन थाना क्षेत्र के भीतरी जंगल में देर रात नक्सलियों के दो गुटों के बीच लेवी वसूली और पैसों के बंटवारे को लेकर खूनी संघर्ष हुआ था. इस दौरान एक नक्सली रामवृक्ष की हत्या कर दी गई थी. पुलिस को मौके से उसका शव बरामद हुआ.
जांच के दौरान इस हत्याकांड में मुन्ना विश्वकर्मा उर्फ विद्रोही और अजीत कोल उर्फ बब्बल का नाम सामने आया. पुलिस ने दोनों के खिलाफ पर्याप्त सबूत जुटाकर अदालत में चार्जशीट दाखिल की.
कैसे पकड़े गए आरोपी ?
सोनभद्र के तत्कालीन एसपी सुभाष चंद्र दुबे ने वर्ष 2012 में मुठभेड़ के दौरान दोनों खतरनाक नक्सलियों को गिरफ्तार किया था. गिरफ्तारी के बाद से ही सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली जिले में नक्सल गतिविधियां लगभग अंत हो गया.
इनामी नक्सली थे दोनों
मुन्ना विश्वकर्मा पर यूपी, एमपी, बिहार, झारखंड और छत्तीसगढ़ में कुल 10 लाख रुपये का इनाम था, जिसमें से यूपी में ही तीन लाख का इनाम घोषित था. वहीं, अजीत कोल के ऊपर 50 हजार रुपये का इनाम रखा गया था.
कोर्ट का फैसला
गवाहों और सबूतों के आधार पर अदालत ने दोनों को हत्या का दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. अभियोजन पक्ष की ओर से अपर जिला शासकीय अधिवक्ता विनोद कुमार पाठक ने बहस की और दोषियों को कड़ी सजा दिलाने में सफलता हासिल की.
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