Mirzapur Waterfalls: मिर्जापुर के जलप्रपात अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए यूपी ही नहीं देश और दुनिया में भी प्रसिद्ध हैं. लेकिन इन्हीं जलप्रपातों में से एक जलप्रपात (दरी) ऐसी भी है जो अब डर और मौत का पर्याय बन चुका है.
अहरौरा क्षेत्र में स्थित चुना दरी, जिसे स्थानीय लोग 'मौत की दरी' और 'मौत का कुंड' भी कहते हैं, लगातार इंसानी जानें निगल रही है. बीते चार वर्षों में यहां 15 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है, जिनमें से अधिकांश स्नान करते समय डूब गए.
मानसून के इस सीजन में ही अब तक तीन युवकों की असमय मौत हो चुकी है। इन दर्दनाक हादसों को देखते हुए प्रशासन ने चुना दरी में आम लोगों के जाने पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा दिया है और सुरक्षाकर्मी तैनात कर दिए गए हैं. लेकिन यह कदम तब उठाया गया जब कई घर उजड़ चुके हैं.
चुना दरी, अहरौरा की लखनिया दरी के अंदर स्थित एक गुप्त जलप्रपात है, जहां करीब 50 फीट ऊंचाई से पानी गिरता है. यह नज़ारा देखने लायक होता है, लेकिन ज़रा सी चूक यहां मौत का बुलावा बन सकती है. प्राकृतिक खतरे के बावजूद सुरक्षा के नाम पर ना बैरिकेडिंग है, ना लाइफ गार्ड, ना चेतावनी बोर्ड, और ना ही बचाव के संसाधन.
नगर पालिका अहरौरा के अध्यक्ष ओमप्रकाश केसरी ने कहा, “यहां हर साल घटनाएं हो रही हैं, लेकिन प्रशासनिक व्यवस्थाएं शून्य हैं निश्चित स्थान तय किया जाए, कैंटीन और टूरिस्ट फैसिलिटी बने और सुरक्षा के ठोस इंतजाम हों.”
नगर पालिका अहरौरा के अध्यक्ष ओमप्रकाश केसरी ने कहा, “यहां हर साल घटनाएं हो रही हैं, लेकिन प्रशासनिक व्यवस्थाएं शून्य हैं निश्चित स्थान तय किया जाए, कैंटीन और टूरिस्ट फैसिलिटी बने और सुरक्षा के ठोस इंतजाम हों.”
वहीं, स्थानीय निवासी प्रमोद केसरी का कहना है कि पार्किंग के नाम पर शुल्क तो वसूला जाता है, लेकिन सुरक्षा के नाम पर कोई व्यवस्था नहीं है. “नेता यहां वोट मांगने तो आते हैं, लेकिन जान बचाने की जिम्मेदारी किसी की नहीं,” उन्होंने कहा.
लोगों की प्रशासन से मांग है कि इस जलप्रपात को पर्यटन स्थल की तरह विकसित करते हुए जगह-जगह चेतावनी बोर्ड, बैरिकेडिंग, और सुरक्षा दल तैनात किए जाएं, ताकि कोई और परिवार अपनों को खोने का दर्द न सहे.
लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता का दावा या पुष्टि ज़ी यूपी/यूके नहीं करता.