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मनरेगा के बाद राशन कार्ड स्कैम में फंसी मो. शमी की बहन की सास, गरीबों का मुफ्त राशन भी खा रहीं करोड़पति ग्राम प्रधान

UP News: मनरेगा योजना के बड़े फर्जीवाड़े में फंसी मशहूर भारतीय क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन की सास और आरोपित ग्राम प्रधान गुले आयशा गरीबों को बंटने वाला मुफ्त राशन भी ले रही हैं. इस स्कैम के सामने आने के बाद उनकी मुसीबत और बढ़ गई है.

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Amroha News
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Preeti Chauhan|Updated: Apr 09, 2025, 12:39 PM IST
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Amroha News: अभी पलौला के मनरेगा योजना में फर्जीवाड़े का मामला शांत भी नहीं हुआ है कि दूसरा कांड सामने आ गया है.  क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन की सास और ग्राम प्रधान गुले आयशा पर गरीबों के लिए बने राशन कार्ड का इस्तेमाल कर मुफ्त राशन भी ले रही हैं.  उनके राशन कार्ड में चार यूनिट दर्ज हैं. मामले की सूचना मिलने पर डीएम ने जांच के आदेश दिए हैं. फर्जी ढंग से मनरेगा मजदूरी हड़पने के मामले में साढ़े आठ लाख रुपये वापस कर चुकी हैं .

मनरेगा में घोटाले की आरोपी उठा रहीं गरीबों का अनाज
क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन की ग्राम प्रधान सास पर मनरेगा घोटाले के बाद अब फर्जी तरीके से बीपीएल राशन कार्ड बनवाने का आरोप लगा है.  डीएम के निर्देश पर सीडीओ ने मामले की जांच शुरू कर दी है. आयशा ने 
क्रिकेटर मोहम्मद शमी की बहन और बहनोई को फर्जी मजदूर बनाकर उनके नाम पर सरकारी धन हड़पा. इतना ही नहीं गरीबों के अनाज भी उठाया.  उनके राशन कार्ड में चार यूनिट दर्ज हैं.  प्रकरण की सूचना मिलने पर डीएम ने जांच के आदेश दिए हैं. 

बीपीएल कार्डधारक गांव की प्रधान.
जानकारी के मुताबिक, शमी की बहन की सास गुले आयशा पलौला गांव की ग्राम प्रधान हैं.  वो करोड़पति है, उनके पास हर सुविधा है. उनका दो मंजिला मकान है. घर कार व अन्य संसाधन भी हैं. इसके बाद भी उन्होंने अपना राशन कार्ड बनाया है और गरीबों को मिलने वाला फ्री का राशन ले रही है.  उनके राशनकार्ड का नंबर 212740497129 है. वह पात्र गृहस्थी कार्डधारक हैं  यानि बीपीएल कार्डधारक. उन्होंने अपने कार्ड में अपने अमीर बच्चों का भी नाम दर्ज कराया है.

राशन कार्ड में इनके नाम हैं दर्ज
उनके राशन कार्ड में बेटी शहबा, एमबीबीएस कर रहे बेटे आमिर सुहेल और वकालत कर रहे बेटे मोहम्मद शेखू का नाम दर्ज है.  यह राशनकार्ड वर्ष 2019 में बना है. सबसे बड़ी हैरानी की बात  है कि ई-केवाईसी कराने के दौरान भी उनके राशनकार्ड को निरस्त करने के प्रयास नहीं किए गए. इतना ही नहीं डीलर भी राशन देता रहा. अधिकारी भी लापरवाह बने रहे. अब मामला सामने आया है तो डीएम ने जांच शुरू करा दी है.

8.68 लाख रुपये की रिकवरी 
अभी  हाल ही में उनके परिवार के आठ लोगों समेत कुल 18 लोगों द्वारा फर्जी तरीके से मनरेगा मजदूरी लिए जाने का मामला सामने आया था. मामला सुर्खियों में आने के बाद केंद्र व प्रदेश सरकार ने भी रिपोर्ट तलब कर ली . जांच रिपोर्ट आने के बाद ग्राम प्रधान से कुल 8.68 लाख रुपये की रिकवरी की गई थी. अब ग्राम प्रधान गुले आयशा के बीपीएल कार्डधारक होने का मामला सामने आया है जिसके बाद हड़कंप मच गया है. मामले की जानकारी होने के बाद डीएम ने इसकी जांच सीडीओ अश्वनी कुमार मिश्रा को सौंप दी है.

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