Amroha News: अमरोहा से एक चौंकाने वाली खबर सामने आई है. यहां एक सरकारी स्कूल की हालत इतनी बदहाल है कि बच्चों को पढ़ाई के लिए ग्राम प्रधान के घर जाना पड़ रहा है. गजरौला ब्लाक क्षेत्र के गांव गढ़ावली का प्राथमिक विद्यालय इन दिनों जर्जर हालत में है और किसी बड़ी दुर्घटना को जैसे दावत दे रहा हो
ग्राम प्रधान का घर बना प्राथमिक विद्यालय
अमरोहा जनपद के गढ़ावली गांव के इस सरकारी स्कूल में 305 बच्चों का नामांकन है. शुक्रवार को 264 बच्चे स्कूल पहुंचे, लेकिन उनमें से 87 को क्लासरूम नहीं, बल्कि ग्राम प्रधान के घर भेजा गया, जहां वे पढ़ाई करते हैं. इसकी वजह है स्कूल की खस्ताहाल इमारत, जिसमें बने छह में से चार कमरे पूरी तरह से जर्जर हो चुके हैं. बारिश के दिनों में छतों से पानी टपकता है, दीवारें सीलन से भरी हुई हैं और जगह-जगह से सीमेंट झड़ चुका है. हालात ऐसे हैं कि इन कमरों में बच्चों को बैठाना खतरे से खाली नहीं है. दो कमरे ऐसे हैं जहां बच्चे किसी तरह बैठकर पढ़ाई कर पाते हैं.
मिड डे मिल के लिए स्कूल परिसर में आते हैं बच्चे
शुक्रवार को इन दो कमरों में 177 बच्चे पढ़ते नजर आए. वहीं, कक्षा चार और पांच के बच्चों को स्कूल से करीब 200 मीटर दूर ग्राम प्रधान अर्चना देवी के घर भेजा जाता है. ये बच्चे स्कूल परिसर में सिर्फ प्रार्थना और मिड डे मील के लिए आते हैं. प्रधानाध्यापिका कुमारी पूनम ने बताया कि पिछले एक साल से चार जर्जर कमरों की मरम्मत के लिए विभाग में आवेदन किया जा रहा है, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है. उन्होंने बताया कि बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर उन्हें इन कमरों में नहीं बैठाया जाता.
स्कूल में खेल का मैदान भी नहीं
बच्चों की संख्या ज्यादा है, इसलिए खंड शिक्षा अधिकारी के निर्देश पर ग्राम प्रधान के घर को अस्थायी कक्षा के रूप में चिन्हित किया गया है. यहां तक कि स्कूल के ऑफिस रूम में भी बच्चों की क्लास लगाई जा रही है. विद्यालय में खेल मैदान नहीं है और ना ही कोई अलग रसोईघर. एक पुराना कार्यालय ही मिड डे मील की रसोई का काम कर रहा है. साथ ही स्कूल के बगल से रेलवे लाइन गुजरती है, जिसे पार करके करीब 60 बच्चे रोज स्कूल आते-जाते हैं. स्कूल खुलने और छुट्टी के समय बच्चों की सुरक्षा को लेकर शिक्षकों को खास निगरानी रखनी पड़ती है.
'हमेशा डर लगा रहता है'
वहीं, गांव के अभिभावकों का कहना है कि वे बच्चों को स्कूल तो भेजते हैं, लेकिन हमेशा डर लगा रहता है कि कहीं जर्जर इमारत में कोई हादसा ना हो जाए. धर्मपाल और सुरेश जैसी अभिभावकों ने बताया कि शुक्र है कि स्कूल स्टाफ बच्चों को खतरनाक कमरों में नहीं बैठने देता. विद्यालय प्रशासन को विभाग की ओर से कमरों के निर्माण का आश्वासन जरूर मिला है, लेकिन जब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं होता, तब तक बच्चे इसी तरह प्रधान के घर पढ़ाई करने को मजबूर रहेंगे.
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