UP Hindi News: भगवान कल्कि का जन्म उत्तर प्रदेश के संभल जिले में होगा. यह स्थान "संभल ग्राम" के नाम से प्रसिद्ध है और इसे ही भगवान कल्कि की जन्मस्थली बताया गया है. कल्कि पुराण के अनुसार, भगवान विष्णु विष्णुयशा नामक एक तपस्वी ब्राह्मण के घर पुत्र रूप में जन्म लेंगे.
पुराणों में वर्णित भगवान कल्कि से जुड़ी प्रमुख भविष्यवाणियां
भगवान कल्कि का जन्म कलियुग और सतयुग के बीच के संधिकाल में होगा, जब अधर्म अपनी चरम सीमा पर होगा और मानवता संकट में होगी. अग्नि पुराण में वर्णन है कि वे घोड़े पर सवार होकर, हाथ में चमकती तलवार लिए पापियों का संहार करेंगे, जैसे भगवान राम ने तीर-कमान से युद्ध किया था.
कौन होगा भगवान कल्कि का गुरू?
पुराणों में यह भी उल्लेख है कि भगवान कल्कि को शिक्षा भगवान परशुराम से प्राप्त होगी, जो स्वयं विष्णु के छठे अवतार हैं और अमर माने जाते हैं. वही भगवान परशुराम उन्हें भगवान शिव की तपस्या करने की सलाह देंगे, जिससे उन्हें दिव्य शक्तियां प्राप्त होंगी. कल्कि भगवान के चार भाई होंगे सुमन्त, प्राज्ञ, कवि जो धर्म की स्थापना में उनके सहायक बनेंगे.
कल्कि अवतार की पत्नी देवी लक्ष्मी का अवतार होंगी, जिनका नाम पद्मा होगा. श्रीमद्भागवत पुराण में उल्लेख है कि वे वही देवी हैं, जो रामावतार में माता वैष्णो देवी के रूप में तपस्या कर रही थीं और अब कल्कि से विवाह करेंगी.
कल्कि जयंती: एक विशेष दिन
हर वर्ष सावन माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को कल्कि जयंती मनाई जाती है. पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान कल्कि का जन्म होगा. इस वर्ष 10 अगस्त को कल्कि जयंती मनाई जाएगी. इस दिन भगवान विष्णु के इस अवतार की पूजा-अर्चना की जाती है.
धार्मिक मान्यताओं को ध्यान में रखते हुए संभल जिले के एंकरा कंबोह इलाके में एक भव्य मंदिर का निर्माण हो रहा है, जिसे कल्कि अवतार मंदिर कहा जा रहा है। यह स्थान भविष्य में तीर्थस्थल बन सकता है।
कब होगा कल्कि अवतार?
हिंदू शास्त्रों के अनुसार, कलियुग के अंत में जब मानवता अपने निम्नतम स्तर पर पहुंच जाएगी और धर्म का लोप हो जाएगा, तब भगवान कल्कि का अवतरण होगा. वर्तमान में माना जाता है कि कलियुग का आधा समय भी अभी शेष है, इसलिए यह अवतार भविष्य में होगा.