Nainital News: पर्यटकों की पसंदीदा जगह और झीलों के शहर नैनीताल पर अब खतरे के बादल मंडरा रहे हैं. जोशीमठ की तरह यहां भी धरती दरकने लगी है, जिससे लोग डर और दहशत में हैं. बलिया नाला और अंधाधुंध निर्माण की वजह से नैनीताल के कई इलाकों में भूस्खलन बढ़ रहा है, जिससे कई घरों में दरारें आ गई हैं. अब प्रशासन ने हजारों घरों का सर्वे कराने की योजना बनाई है.
3 किलोमीटर के क्षेत्र में दरक रहे हैं पहाड़
जानकारों के मुताबिक, नैनीताल का बलिया नाला इलाका सबसे ज्यादा संवेदनशील है. यह इलाका पिछले कई दशकों से धीरे-धीरे खिसक रहा है, लेकिन अब इसकी गति तेज हो गई है. रिपोर्ट्स के अनुसार, यह क्षेत्र हर साल 60 सेंटीमीटर से 1 मीटर तक खिसक रहा है. इसका असर लगभग 3 किलोमीटर तक फैल चुका है, और इस कारण आसपास के घरों में दरारें आने लगी हैं.
टिफिन टॉप का लैंडस्लाइड में हुआ सफाया
कुछ दिन पहले टिफिन टॉप (डोरोथी सीट) का एक बड़ा हिस्सा लैंडस्लाइड की वजह से बह गया. यह वही जगह है जहां कभी सैलानी आकर सेल्फी और वीडियोग्राफीकिया करते थे. अब यहां सिर्फ मलबे के निशान बचे हैं, जिससे स्थानीय लोग और पर्यटक हैरान और नाखुश हैं.
बेतरतीब निर्माण बना विनाश का कारण ?
नैनीताल में अनियंत्रित और अवैध निर्माण भी एक बड़ा कारण है. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 1901-02 में नैनीताल में सिर्फ 520 इमारतें थीं, लेकिन अब यहां 7,000 से ज्यादा मकान, होटल और रिजॉर्ट बन चुके हैं. बढ़ती आबादी और पर्यटन दबाव के कारण पहाड़ों की सहनशक्ति खत्म हो रही है.
IIT रुड़की और हाईकोर्ट की चेतावनी भी अनसुनी
कुछ साल पहले IIT रुड़की की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि नैनीताल के मॉल रोड के ऊपर एक 300 मीटर ऊंचा और 165 मीटर लंबा पहाड़ी क्षेत्र बेहद संवेदनशील है और किसी भी वक्त गिर सकता है. इसके अलावा, हाईकोर्ट द्वारा गठित कमेटी ने भी बताया था कि नैनीताल में भूस्खलन रोकने के लिए ड्रेनेज सिस्टम सुधारना जरूरी है, लेकिन इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया.
क्या नैनीताल के लोगों को किया जाएगा शिफ्ट ?
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर हालात नहीं सुधरे तो कुछ इलाकों में रहने वाले लोगों को दूसरी सुरक्षित जगहों पर शिफ्ट करना पड़ सकता है. प्रशासन ने खतरे को देखते हुए सर्वे का फैसला लिया है, ताकि संवेदनशील इलाकों की पहचान कर उचित कदम उठाए जा सकें.
नैनीताल बचाने के लिए क्या जरूरी ?
नैनीताल को इस संकट से बचाने के लिए विशेषज्ञ संरक्षण योजना लागू करने, अवैध निर्माण पर रोक लगाने और पहाड़ी इलाकों का उचित प्रबंधन करने की सलाह दे रहे हैं अगर सही समय पर एक्शन नहीं लिया गया तो नैनीताल भी जोशीमठ की तरह एक बड़ी आपदा का शिकार हो सकता है.
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