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अब्बास अंसारी की बढ़ीं मुश्किलें, भड़काऊ बयान मामले में हाईकोर्ट का तगड़ा फैसला, जानें पूरा मामला

Abbas Ansari Hate Speech Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अब्बास अंसारी को भड़काऊ भाषण मामले में बड़ा झटका दिया है. हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट में दर्ज भड़काऊ बयान की सीडी की वैधता को चुनौती देने वाली अब्बास की याचिका पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है.   

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 Abbas Ansari
Abbas Ansari
Zee Media Bureau|Updated: Jun 25, 2025, 06:08 PM IST
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Abbas Ansari Case: इलाहाबाद हाईकोर्ट से मऊ सदर विधायक अब्बास अंसारी को बड़ा झटका लगा है. भड़काऊ बयान के मामले में दाखिल सीडी की वैधता को चुनौती देने वाली उनकी याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है. कोर्ट ने साफ कहा कि इस मामले में ट्रायल कोर्ट का फैसला अंतिम नहीं है और इसकी वैधता से जुड़ी आपत्तियां अब्बास अंसारी सेशन कोर्ट में अपील के दौरान उठा सकते हैं.

ट्रायल कोर्ट से मिल चुकी है दो साल की सजा
हाईकोर्ट ने साफ कहा कि चूंकि ट्रायल कोर्ट अब्बास अंसारी को पहले ही दो साल की सजा सुना चुकी है, इसलिए इस मुद्दे को सेशन कोर्ट में दाखिल अपील के दौरान उठाया जाए. कोर्ट ने निर्देश दिया कि सीडी की वैधता से जुड़ी आपत्तियां अपील के दौरान उठाई जा सकती हैं.
अब्बास अंसारी ने आरोप लगाया था कि उनके भड़काऊ बयान की सीडी को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है. उन्होंने कोर्ट से आग्रह किया था कि इस सीडी को सबूत के तौर पर अमान्य घोषित किया जाए, लेकिन हाईकोर्ट ने फिलहाल कोई राहत देने से इंकार कर दिया.

2022 चुनाव के दौरान दिया था कथित भड़काऊ भाषण
यह मामला 2022 के विधानसभा चुनाव के दौरान मऊ के पहाड़पुरा इलाके में एक जनसभा से जुड़ा है. आरोप है कि अब्बास अंसारी ने मंच से कहा था कि हमारी सरकार बनते ही अधिकारियों से हिसाब-किताब लिया जाएगा, जिसे प्रशासन ने धमकी और हेट स्पीच के रूप में लिया. इस बयान के बाद सब-इंस्पेक्टर गंगाराम बिंद की तहरीर पर शहर कोतवाली में एफआईआर दर्ज की गई थी. साथ ही आचार संहिता उल्लंघन का एक अन्य मामला दक्षिण टोला थाने में भी दर्ज हुआ.

राजनीतिक भविष्य पर मंडराए संकट के बादल
अब्बास अंसारी ने सुभासपा के बैनर तले सपा गठबंधन के तहत मऊ सदर सीट से चुनाव लड़ा था और बीजेपी उम्मीदवार अशोक सिंह को 38,116 वोटों से हराया था. वह मऊ के पूर्व विधायक और दिवंगत गैंगस्टर-नेता मुख्तार अंसारी के पुत्र हैं. कोर्ट का यह निर्णय अब्बास के राजनीतिक भविष्य पर बड़ा असर डाल सकता है. अगर उच्च अदालत में भी सजा बरकरार रहती है तो उनकी विधायकी रद्द हो सकती है.

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