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बेटियां चाची,दादी,नानी,पापा की लाडली हो सकती हैं, मां जैसा हितैषी दुनियां में कोई नहीं-हाईकोर्ट

Allahabad High Court: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पिता के साथ रह रही बेटी को मां के सौंपने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने टिप्पणी की है कि मां बेटी की सबसे बड़ी हितैषी है. जानिए क्या है पूरा मामला...  

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 Allahabad High Court
Allahabad High Court
Preeti Chauhan|Updated: Jun 14, 2025, 08:29 AM IST
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मोहम्मद गुफरान/प्रयागराज: बेटी के संरक्षण को लेकर मां की अर्जी पर इलाहाबाद हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है. कोर्ट ने कहा है कि युवावस्था की दहलीज पर खड़ी बेटी के लिए मां का साथ जरूरी है. कोर्ट ने उक्त टिप्पणी करते हुए तीन साल से पिता के साथ रह रही बेटी को मां को सुपुर्द करने का निर्देश दिया है.दादा-दादी और पिता संग रह रही बेटी की सुपुर्दगी की मांग को लेकर कोर्ट में मां ने अर्जी दाखिल की थी

मां जैसा हितैषी दुनियां में कोई नहीं-हाईकोर्ट
कोर्ट ने उक्त टिप्पणी करते हुए तीन साल से पिता के साथ रह रही बेटी को मां को सुपुर्द करने का निर्देश दिया है. तीन सप्ताह के अंदर बेटी को मां की सुपुर्दगी में सौंपने का पिता को निर्देश दिए हैं. न्यायालय ने कहा कि बेटियां चाची, दादी, नानी, पापा की लाडली हो सकती हैं, पर उनकी तुलना मां से नहीं की जा सकती, क्योंकि मां जैसा हितैषी दुनियां में कोई नहीं. जस्टिस विनोद दिवाकर की सिंगल बेंच ने आदेश दिया.कोर्ट ने कहा ऐसा नहीं करने पर मां को बाल कल्याण समिति में शिकायत का अधिकार होगा. याची के पति अपने पदीय स्थिति से अदालती आदेश को प्रभावित न कर सकें इसके लिए कोर्ट ने लखनऊ सीपी को भी जरुरी निर्देश दिए हैं. साथ ही कोर्ट ने मां को भरण पोषण का दावा अलग से उचित फोरम पर करने की स्वतंत्रता दी है. 

दिल्ली के एक महाविद्यालय में तैनात याची की शादी आईआरएस अधिकारी से जनवरी 2012 में हुई थी. दिल्ली में ही 3 नवंबर 2012 को याची ने एक बेटी को जन्म दिया. इसी बीच पति पत्नी में मनमुटाव शुरू हुआ और तलाक का मामला अदालत में पहुंच गया. इसके साथ ही दादा-दादी और पिता संग रह रही बेटी की सुपुर्दगी की मांग को लेकर कोर्ट में मां ने अर्जी दाखिल की थी. बेटी के बयान को आधार मानते हुए जिला अदालत ने मां की अर्जी खारिज करते हुए कहा कि बेटी पिता के साथ रहना चाहती है. मां ने जिला अदालत के इस फैसले को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी. 

क्या कहा पति ने...
कोर्ट में सुनवाई के दौरान पति ने कहा कि पत्नी ने मर्जी से घर और उसका साथ छोड़ा. कहा कि बेटी का पोषण बेहतर ढंग से हम कर रहे हैं वह हमारे साथ रहना चाहती है, पत्नी ने बेटी से कई सालों तक कोई संपर्क नहीं किया.

क्या कहा बेटी की मां ने....
कोर्ट में सुनवाई के दौरान मां ने कहा उसके पास ममता के सबूत हैं. मैने पति का घर अपनी मर्जी से नहीं बल्कि दबाव में छोड़ा. 2021 में बेटी को लेकर गोरखपुर चले गए और तलाक के दस्तावेज पर हस्ताक्षर करने और घर छोड़ने का दबाव बनाया था. सरकारी आवास से निकालकर सर्वेंट क्वाटर में रखा गया ताकि मै घर छोड़ने को मजबूर हो जाऊं.  कोर्ट में सुनवाई के दौरान महिला ने बेटी से संपर्क करने की कोशिश से जुड़ी 2022 की वाट्सएप चैट और गुगल लोकेशन का जिक्र किया. कहा कि उसने बेटी से संपर्क करने की कोशिश कि लेकिन उससे न तो मिलने दिया और न ही बात करने दिया गया. कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद तीन साल से पिता संग रह रही बेटी को मां के हवाले करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने महिला पुलिस अधिकारी और योग्य बाल परामर्शदाता को मां तक बेटी को पहुंचाने में मदद का निर्देश दिया. 

 

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