Sambhal Jama Masjid Case : उत्तर प्रदेश की संभल जामा मस्जिद को लेकर विवाद अभी थमा नहीं है. अदालत ने मस्जिद के रंगरोगन यानी रंगाई पुताई से जुड़े मामले में गुरुवार को बड़ा फैसला किया. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भारतीय पुरातत्व विभाग से मस्जिद का निरीक्षण करने का आदेश दिया ताकि रंगाई पुताई को लेकर फैसला किया जा सके.
अदालत ने रखी शर्तें
कोर्ट ने साफ किया कि हम रंगरोगन की अगर इजाजत देगे तो इस शर्त पर कि उसकी पूरी वीडियोग्राफी हो. ASI की निगरानी में हो और इमारत को नुकसान न पहुंचे. हाईकोर्ट शुक्रवार को फिर से सुनवाई करेगा.कोर्ट ने ASI से कहा है कि वो मस्जिद का मुआयना करके बताए कि रंगरोगन की ज़रूरत है या नहीं. कोर्ट ने ASI को कहा है कि वो 28 फरवरी तक कोर्ट को रंगरोगन के बारे में अपनी राय से अववत कराए. कोर्ट ने कहा कि आप निरीक्षण कराइये और कल से रंगरोगन करवाइए. अदालत ने कहा कि ASI को इतना वक़्त नहीं दिया जा सकता. लेकिन रमजान शुरू होने वाला है लिहाजा जल्दी कीजिए.
तीन सदस्यीय समिति करेगी निरीक्षण
हाईकोर्ट ने पुरातत्व विभाग से तीन सदस्यीय कमेटी बनाने को कहा, जिसकी निगरानी में रंगाई पुताई होगी. हाईकोर्ट ने एएसआई और वैज्ञानिक के अलावा प्रशासन के एक अधिकारी की तीन सदस्यीय कमेटी बनाने को कहा था. तीन सदस्यीय कमेटी मस्जिद परिसर का निरीक्षण करेगी. साथ ही बगैर किसी ढांचे को नुकसान पहुंचाए रंगाई पुताई कैसे की जाए यह तय करेगी. समिति शुक्रवार सुबह 10 बजे हाईकोर्ट के समक्ष रंगाई पुताई पर जानकारी कोर्ट के सामने रखेगी. समिति में मदन सिंह चौहान, ASI स्मारकों के ज्वाइंट डायरेक्टर जुल्फिकार अली और सुपरिटेंडेंट आर्कियोलॉजिस्ट मेरठ सर्किल विनोद सिंह रावत शामिल हैं. मस्जिद के मुतवल्ली भी निरीक्षण के दौरान साथ रहेंगे.
दो-तीन दिन में एएसआई देगा रिपोर्ट
यूपी सरकार की ओर से एडवोकेट जनरल ने कहा कि कोर्ट को ये भी देखना चाहिए कि रंगरोगन की वाकई ज़रूरत है भी या नहीं. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) ने कहा कि हम 2-3 दिन में निरीक्षण करके कोर्ट को अवगत कराएंगे. हिन्दू पक्ष की आशंकाओं का ध्यान रखते हुए इस कवायद को अंजाम दिया जाए. एएसआई के अधिकारी और कलेक्टर की मौजूदगी में ही हम रंगरोगन की इजाजत देंगे. इस दरम्यान इमारत को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए. हम रंगरोगन की इजाज़त सिर्फ इस सूरत में देंगे कि इस पूरी कवायद की वीडियोग्राफी हो. हम हिंदू पक्ष की आपत्ति को समझते हैं. अदालत आपकी चिंताओ को ध्यान में रखते हुए आदेश पास करेगी.
रंगरोगन की आड़ में हिन्दू प्रतीक चिन्हों को बिगाड़ने की साजिश
हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने कहा कि हमें मस्जिद कमेटी की मांग पर सख्त एतराज है. विष्णु शंकर जैन ने कहा, इमारत के अंदर रंगरोगन की आड़ में वो वहां मौजूद हिन्दू कलाकृतियों को बिगाड़ना चाहते हैं. कोर्ट ने कहा, आपको अगर रंगरोगन करवाना है तो आप ASI को मस्जिद में अंदर आने दीजिए. मस्जिद कमेटी के वकील ने कहा, हमने उन्हें एंट्री से नहीं रोका है. रंगरोगन के साथ लाइट, झालर भी मस्जिद में लगवानी है. इस पर हाईकोर्ट ने एएसआई से कहा, आप अपना एक अधिकारी वहां नियुक्त कर दीजिए, जिसकी निगरानी में ये सब काम मस्जिद में हो.
क्यों लिखित अर्जी एएसआई को नहीं दी
कोर्ट ने ASI से पूछा कि क्या आपको अगर मस्जिद कमेटी की लिखित में अर्जी मिली है तो आपने क्या कार्रवाई की ?आप एक अधिकारी का नाम बताइए, जो निगरानी कर सके। हिंदू पक्ष ने मस्जिद कमेटी की मांग का विरोध किया . मस्जिद कमेटी के वकील ने बताया कि हमने ASI को अपनी अर्जी दी थी लेकिन उसने अभी तक रंगरोगन की इजाजत के बारे में कोई फैसला नहीं लिया, इसलिए हमें कोर्ट आना पड़ा.
मस्जिद कमेटी के एएसआई पर आरोप
मस्जिद कमेटी के वकील नकवी ने कहा कि भारतीय पुरातत्व विभाग ने कभी शाही मस्जिद में रंगरोगन नहीं करवाया. इस बारे में चूंकि मामला लंबित था, इसलिए रंगरोगन के लिए हमने स्थानीय प्रशासन को सूचित किया. प्रशासन ने हमसे कहा कि हमें इसके लिए पुरातत्व विभाग की इजाज़त लेनी होगी.कोर्ट ने मस्जिद कमेटी के रवैये पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अगर आप ASI की टीम को मस्जिद के अंदर ही नहीं घुसने देंगे तो कैसे चलेगा. पुताई का काम तो ASI को ही करवाना है.
जामा मस्जिद एएसआई संरक्षित स्मारक
उच्च न्यायालय ने मस्जिद कमेटी के वकील से कहा कि ये ASI संरक्षित स्मारक है. सिर्फ एएसआई के जरिये ही मस्जिद के अंदर कोई काम हो सकता है. मस्जिद कमेटी के वकील की ओर से दलील दी गई थी कि उसका ASI के साथ समझौता हुआ था. इसके मुताबिक मस्जिद की रंगाई पुताई और रखरखाव की जिम्मेदारी मस्जिद कमेटी संभालेगी. वहीं एएसआई के वकील ने दलील दी कि मस्जिद कमेटी के लोग हमारी मस्जिद में एंट्री को रोक रहे हैं.