शरद मौर्य/भदोही: पुलिस की नौकरी एक जिम्मेदारी, एक सेवा का जज़्बा है, लेकिन अगर उसी नौकरी को पाने के लिए कोई फर्जीवाड़ा करे, तो क्या होगा. भदोही से एक ऐसी ही चौंकाने वाली खबर सामने आई है, जिसने न केवल भर्ती प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर दिए हैं, बल्कि सिस्टम में फैले जालसाज़ों के नेटवर्क का भी पर्दाफाश कर दिया है. फर्जी स्वतंत्रता सेनानी प्रमाण पत्र के सहारे पुलिस की नौकरी हथियाने वाले पांच अभियुक्तों को भदोही पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
वेरिफिकेशन में खुलीपोल
इस गिरोह का सरगना हर्ष यादव बताया जा रहा है, जो 2023 की सीधी भर्ती में शामिल होकर नौकरी भी हासिल कर चुका था. पूरा मामला तब सामने आया जब पुलिस अधीक्षक अभिमन्यु मांगलिक के निर्देश पर दस्तावेजों का सत्यापन शुरू किया गया. हर्ष यादव ने अपने दस्तावेज़ों में खुद को स्वतंत्रता सेनानी का आश्रित बताया था, लेकिन जांच में पाया गया कि जिस प्रमाण पत्र के आधार पर उसे नौकरी मिली, वह पूरी तरह से फर्जी था और तहसील से निर्गत नहीं था.
फर्जी दस्तावेज से सरकारी नौकरी का खेल
आगे की जांच में यह मामला और गहराता चला गया. पुलिस ने मिर्जापुर जिले के चार अन्य लोगों सुनील यादव, संजय दूबे, श्रीधर अग्रवाल और लवकुश गुप्ता को भी गिरफ्तार किया. पूछताछ में सभी ने कबूला कि वे एक संगठित गिरोह का हिस्सा हैं, जो फर्जी दस्तावेज़ बनवाकर युवाओं को सरकारी नौकरियों में भर्ती कराता था. इनके खिलाफ गोपीगंज थाने में मुकदमा दर्ज किया गया है.
किसकी मिलीभगत से हुआ खेल?
सवाल यह है कि यदि पुलिस जैसे जिम्मेदार विभागों में इस तरह से लोग भर्ती हो जाएंगे, तो आम जनता की सुरक्षा का क्या होगा? भदोही पुलिस ने इस पूरे गिरोह को दबोचकर न सिर्फ कानून का पालन करवाया, बल्कि सिस्टम की साख भी बचा ली. अब निगाहें हैं उन अधिकारियों पर, जिनकी मिलीभगत से ऐसे खेल होते रहे हैं.