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काशी-मथुरा से संभल-कुतुबमीनार तक 102 केस, 'मंदिरों' के लिए लड़ रहे हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन

Harishankar Jain and Vishnu Shankar Jain News in Hindi: सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में मंदिर-मस्जिद विवादों में हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन जाना माना नाम है. पिता पुत्र की ये जोड़ी मस्जिदों पर दावा ठोकते हुए मंदिरों की मुक्ति के लिए अदालती जंग लड़ रहे हैं. 

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Harishankar Jain and Vishnu Shankar Jain
Harishankar Jain and Vishnu Shankar Jain
Amrish Kumar Trivedi|Updated: Nov 30, 2024, 08:55 PM IST
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Who is Harishankar Jain and Vishnushankar Jain: उत्तर प्रदेश, दिल्ली, राजस्थान से लेकर देश के कई राज्यों में मंदिर-मस्जिद विवाद उभर आए हैं. अयोध्या का विवाद निपटा, काशी-मथुरा पर अदालती मामला आगे बढ़ने के बीच देश में ऐसे मामलों की बाढ़ सी आ गई है. फिर चाहे संभल की जामा मस्जिद-हरिहर मंदिर का विवाद हो, बागपत की टीले वाली मस्जिद हो, अजमेर दरगाह का मामला हो या फिर ताजमहल बनाम तेजो महालय मंदिर की बात हो या भोजशाला... हर जगह मंदिरों को लेकर छेड़ी गई अदालती जंग के पीछे एक ही जोड़ी सामने आती है, वो  है हरिशंकर जैन और विष्णु शंकर जैन. दोनों ही पिता पुत्र अदालतों में ऐसी लड़ाई के लिए धमकियां भी झेल रहे हैं, लेकिन वो पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. 

अयोध्या में कथित बाबरी मस्जिद वाले विवादित ढांचे का केस हो या मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि शाही ईदगाह मस्जिद विवाद और काशी की ज्ञानवापी मस्जिद या आदि विश्वेवर मंदिर विवाद, हर जगह अदालती सुनवाई में आपको ये जोड़ी जरूर नजर आएगी.

हरिशंकर जैन की उम्र 70 साल हो चुकी है और वो पैरवी करने अब कम आते हैं, लेकिन टीवी चैनलों पर उन्हें ऐसी तार्किक बहस में देखा जा सकता है. जबकि  उनके 40 साल के पुत्र विष्णु शंकर जैन अब ज्यादा सक्रिय और मुखर हैं. देश में धार्मिक स्थलों से जुड़े ऐसे सौ के करीब मामलों में वो बिना एक रुपया लिए अदालती केस लड़ रहे हैं. 

इलाहाबाद से करियर
हरिशंकर जैन की बात करें तो 80 के दशक में उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट से प्रैक्टिस शुरू की. प्रयागराज ही उनकी कर्मभूमि भी है. हाईकोर्ट में प्रसिद्धि पाने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया. हरिशंकर जैन का कहना है कि मंदिरों की मुक्ति के कानूनी आंदोलन   में कूदने की प्रेरणा उन्हें अपनी मां से मिली. जबकि न्यायिक सेवा में रहे उनके पिता नेमचंद्र जैन इसके मुखर विरोधी थे.

हरिशंकर जैन के पिता की ख्वाहिश थी कि वो जज बनकर नाम कमाएं. जब जैन ने अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद को उठाने का फैसला किया था तो उनके पिता ने दो दिन अन्न त्याग दिया, लेकिन मां उनके साथ थीं. वो मां के कहने पर ही आगे बढ़े.  अयोध्या जन्मभूमि विवाद में हरिशंकर जैन को 1989 में हिंदू महासभा का वकील नियुक्त किया गया. फिर तो उनकी ख्याति बढ़ती गई. 

हरिशंकर जैन को प्रसिद्धि तब मिली जब वो 1993 में अयोध्या में विवादित ढांचा परिसर में दरवाजा खोलने और हिन्दुओं को पूजा करने का अधिकार मिला. जिला जज कृष्ण मोहन पांडे ने यह आदेश पारित किया तो उन्हें भी राम मंदिर आंदोलन के योद्धा की तरह सम्मान मिला. हरिशंकर जैन ने सोनिया गांधी के खिलाफ रायबरेली लोकसभा सीट से चुनाव भी लड़ा, लेकिन हार का मुंह देखना पड़ा. सोनिया गांधी के इतालवी मूल का मुद्दा उठाकर हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल की.हालांकि वर्ष 2000 में उनकी ये याचिका खारिज हो गई.वक्फ बोर्ड के खिलाफ भी वो अदालती मैदान में हैं.

इससे पहले असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम की मान्यता रद्द कराने को लेकर भी उन्होंने कोर्ट में लड़ाई लड़ी. हरिशंकर जैन कई बड़े हिन्दू संगठनों से भी कई दशकों से जुड़े रहे हैं. इनमें हिन्दू फ्रंट फॉर जस्टिस, हिन्दू महासभा, भगवा रक्षा वाहिनी, हिन्द साम्राज्य पार्टी और गोवा की सनातन संस्था शामिल है. धार भोजशाला में 11वीं सदी के स्मारक में जब पूजा पर प्रतिबंध लगा तो भी वो एएसआई के आदेश के खिलाफ कोर्ट में लड़ाई लड़ने पहुंचे. कमल मौला मस्जिद बनाम देवी वाग्देवी मंदिर में उनकी सक्रियता सुर्खियों में रही.
 
विष्णु शंकर जैन
हरिशंकर जैन के सुपुत्र विष्णु शंकर जैन भी इसी राह में कूद पड़े.विष्णुशंकर जैन ने 2010 में लॉ कॉलेज से कानून की पढ़ाई पूरी की. राम जन्मभूमि विवाद में ही वकालत के साथ वो भी आगे बढ़े. अयोध्या के बाद ज्ञानवापी, मथुरा श्रीकृष्ण जन्मभूमि, कुतुबमीनार  और ताजमहल तेजोमहालय केस में भी हिंदू पक्ष के पैरोकार रहे. पिता हरिशंकर जैन के साथ उन्होंने प्राचीन मंदिरों और उनसे जुड़े मस्जिदों के विवादों को खंगाला. साक्ष्य इकट्ठा करना, पैरवी के लिए तमाम प्रशासनिक और अदालती आदेशों का जुटाने में उन्हें महारत है. विष्णु शंकर जैन भी 2016 से सुप्रीम कोर्ट में लाइसेंस लेने के बाद प्रैक्टिस कर रहे हैं.

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