Hanuman Janmotsav 2025:/मोहम्मद गुफरान: प्रयागराज में स्थित लेटे हुए हनुमान जी का मंदिर इस बार भी श्रद्धालुओं के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.कहा जाता है कि बजरंगबली के सामने सम्राट अकबर ने भी घुटने टेक दिए थे.हनुमान जन्मोत्सव से पूर्व लेटे हुए हनुमान जी के दर्शन और संगम स्नान के लिए उमड़ती श्रद्धालुओं की भीड़ यह स्पष्ट करती है कि श्रद्धा और आस्था आज भी भारतीय जनमानस की जड़ों में गहराई से समाई हुई है.
मान्यता है कि संगम स्नान के बाद यदि लेटे हनुमान जी के दर्शन न हों तो स्नान अधूरा माना जाता है, इसी कारण पहले त्रिवेणी में स्नान और फिर शयन मुद्रा में विराजमान बजरंगबली के दर्शन की परंपरा है.
कई नामों से जाने जाते
20 फीट लंबी और दक्षिणाभिमुखी यह अद्वितीय प्रतिमा धरातल से लगभग 6 से 7 फीट नीचे स्थित है. इन्हें संगम नगरी में 'बड़े हनुमान जी', 'किले वाले हनुमान जी', 'लेटे हनुमान जी' और 'बांध वाले हनुमान जी' जैसे नामों से भी जाना जाता है. मान्यता है कि इस प्रतिमा के बाएं पैर के नीचे कामदा देवी और दाएं पैर के नीचे अहिरावण दबे हैं. उनके एक हाथ में राम-लक्ष्मण और दूसरे में गदा सुशोभित है.
पौराणिक कथा के अनुसार
लंका विजय के बाद जब हनुमान जी लौट रहे थे तो संगम तट पर थकान के कारण माता सीता के कहने पर विश्राम हेतु लेट गए.यही कारण है कि यहां उनकी शयन मुद्रा में प्रतिमा स्थापित की गई, जो आज असंख्य भक्तों की श्रद्धा का केंद्र है.
मुगल काल में नाकाम रही मंदिर को नष्ट करने की कोशिश
इतिहास की बात करें तो मुगल काल में इस मंदिर को कई बार नष्ट करने का प्रयास किया गया, परंतु हनुमान जी की प्रतिमा को कोई क्षति नहीं पहुंचाई जा सकी.जैसे-जैसे प्रतिमा को हटाने का प्रयास किया गया, वह और अधिक धरती में धंसती चली गई, जिससे यह प्रतिमा आज भी जमीन के भीतर स्थित है.
मां गंगा कराती हैं स्नान
प्रकृति भी यहां हर वर्ष अपने भाव अर्पित करती है.वर्षा ऋतु में जब गंगा-यमुना का जलस्तर बढ़ता है, तब मां गंगा स्वयं आकर लेटे हुए हनुमान जी को स्नान कराती हैं.ऐसी मान्यता है कि जिस वर्ष गंगा जी हनुमान जी को स्नान कराती हैं, उस वर्ष शहर में कोई विपत्ति नहीं आती.