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दरिंदगी भी शर्मा जाए! 14 इंसानी सिर काटकर पी गया भेजे का सूप, नेटफ्लिक्स की इस सीरिज में है राजा कोलंदर की डरावनी सच्चाई

Serial Killer Raja Kolandar: इंसानों की हत्या कर उनकी खोपड़ियों का सूप पीने वाले और खोपड़ियों का संग्रह करने वाले सीरियल किलर राजा कोलंदर की अपराध गाथा काफी हद तक दिल्ली के सीरियल किलर चंद्रकांत झा से मिलती है. नेटफ्लिक्स चंद्रकांत झा पर डॉक्यू सीरीज Indian Predator: Butcher of Delhi  बना चुका है. ये 2022 में रिलीज हुई थी. 

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दरिंदगी भी शर्मा जाए! 14 इंसानी सिर काटकर पी गया भेजे का सूप, नेटफ्लिक्स की इस सीरिज में है राजा कोलंदर की डरावनी सच्चाई
Pradeep Kumar Raghav |Updated: May 23, 2025, 05:02 PM IST
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Prayagraj News: इंसानों की हत्या कर उनके भेजे का सूप पीने वाले और उनकी खोपड़ियों को इकट्ठा करने वाला राजा कोलंदर और उसके साले बच्छराज को लखनऊ एडीजे कोर्ट ने सजा सुना दी है. राजा कोलंदर को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है. राजा कोलंदर की क्रूरता की कहानी तीन साल पहले 2022 में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई डॉक्यू सीरीज Indian Predator: Butcher of Delhi जैसी ही है. "इंडियन प्रीडेटर: द बुचर ऑफ देल्ही" बिहार के रहने वाले चंद्रकांत झा की अपराध गाथा है. इस सीरीज में दिखाया गया है कि कैसे एक सनकी सीरियल किलर पहले अपने शिकार से दोस्ती करता था, उसके साथ खाता-पीता और खूब समय बिताता और फिर एक दिन अचानक उसकी बेरहमी से हत्या कर देता था. 

राजा कोलंदर और  दिल्ली का कसाई में समानता 
राजाकोलंदर इंसानों की हत्या कर उनके भेजे का सूप पीता था और खोपड़ियों को इकट्ठा कर लेता था. तो वहीं दिल्ली का कसाई (चंद्रकांत झा जो बिहार का रहने वाला था)  हत्या करने के बाद शवों के टुकड़े-टुकड़े कर देता था और मुंड (सिर) को यमुना में बहा देता था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दिल्ली का कसाई कहा जाने वाला चंद्रकांत झा कहता था, "मै यमुना में उनका सिर डालकर उनका कल्याण करता हूं".  

हैरानी की बात यह है इतनी बेरहमी से की गई हत्याओं के पीछे कोई बड़ी वजह नहीं होती थी. बस छोटी-छोटी बात पर चंद्रकात झा लोगों को मारकर उनके टुकड़े-टकड़े कर देता था.  2016 में चंद्रकात झा की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया गया. राजा कोलंदर की तरह ही चंद्रकांत झा ने दर्जनभर से ज्यादा लोगों की हत्या की थी. वह हत्या करने के बाद शवों के टुकड़े पश्चिमी दिल्ली में अलग-अलग जगहों पर फेंक देता था. इतना ही नहीं वह हत्या करने के बाद पुलिस के लिए चिट्ठी छोड़ता था जिसमें वो अपने अपराध को बताते हुए पुलिस और जांच एजेंसियों को खुद को पकड़ने की चुनौती देता था. 

राजा कोलंदर के फार्म हाउस से मिलीं 14 मानव खोपड़ियां
राजा कोलंदर के फार्म हाउस से पुलिस को 14 मानव खोपड़ियां बरामद हुई थीं, जो उसकी क्रूरता और सनक का जीता जागता उदाहरण थी.राजा कोलंदर और उसके साले पर 25 साल पहले वर्ष 2000 में दोहरे हत्याकांड का मामला दर्ज किया गया था. वर्ष 2000 के डबल मर्डर केस में पुलिस ने 21 मार्च 2001 को चार्जशीट दाखिल की. लेकिन, कानूनी पेचिदगियों की वजह से मुकदमे की सुनवाई मई 2013 में शुरू हुई.

राजा कोलंदर उर्फ राम निरंजन और उसके साथी बच्छराज कोल को वर्ष 2000 में पत्रकार मनोज कुमार सिंह और उसके ड्राइवर रवि श्रीवास्तव के अपहरण और हत्या के मामले में दोषी करार दिया गया है. 

राजा कोलंदर ने मनोज सिंह की हत्या कैसे की
मनोज कुमार सिंह और उनका ड्राइवर रवि श्रीवास्तव 24 जनवरी 2000 को लखनऊ से रीवा के लिए निकले थे.मनोज और रवि ने चारबाग रेलवे स्टेशन के पास से छह यात्रियों को बिठाया, जिनमें एक महिला भी थी. आखिरी बार उनकी लोकेशन रायबरेली के हरचंदपुर में चाय की दुकान पर मिली थी. वहां से वे लापता हो गए. तीन दिन तक जब उनका कोई पता नहीं चला तो नाका थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई. मनोज और रवि की पुलिस ने खोज शुरू की तो  दोनों का कहीं पता नहीं लग सका. बाद में दोनों के क्षत-विक्षत शव प्रयागराज के शंकरगढ़ के जंगलों से बरामद किए गए थे. लेकिन उनके सिर नहीं मिले.  

राजा कोलंदर का शुरूआती जीवन
राजा कोलंदर प्रयागराज के शंकरगढ़ का निवासी है. उसका असली नाम राम निरंजन कोल है. वह नैनी स्थित केंद्रीय आयुध भंडार (सीओडी) छिवकी में कर्मी था. राम निरंजन ब्याज पर रुपये देने के साथ ही राजनीति के मैदान में भी सक्रिय था. उसकी पत्नी जिला पंचायत सदस्य चुनी गई थी. उसने अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर बना ली. इस कारण लोग उसे राजा कहने लगे. मनोज और रवि की हत्या के बाद भी राजा कोलंदर पर केस दर्ज नहीं हुआ था. उसकी पहचान सामने नहीं आई थी

राजा कोलंदर का भयावह चेहरा एक पत्रकार की हत्याकांड के बाद सामने आया. 14 दिसंबर 2000 को पत्रकार धीरेंद्र सिंह के गायब होने के बाद राजा कोलंदर के अपराध से पर्दा हटना शुरू हुआ. 
18 दिसंबर को यूपी-एमपी बॉर्डर पर रीवा के पास एक सिरकटी लाश बरामद की गई. उसकी पहचान पत्रकार धीरेंद्र के रूप में हुई. पूरे जंगल में छानने पर भी धीरेंद्र का सिर नहीं मिला. इसके बाद जांच में सामने आया कि 14 दिसंबर की शाम धीरेंद्र के साथ राजा को बाइक पर देखा गया था. 

राजा कोलंदर के धीरेंद्र के साथ देखे जाने की जानकारी पर प्रयागराज पुलिस ने उसे थाने बुलाकर पूछताछ शुरू की. काफी देर इधर-उधर की बात करने के बाद धीरेंद्र सिंह की हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया. हालांकि सिर के बारे में कोई जानकारी नहीं दी. राजनीतिक ताकत को देखते हुए उससे अधिक पूछताछ नहीं हुई. हत्या के मामले में उसे जेल भेज दिया गया.  

कैसे खुला नरमुंडों का राज
धीरेंद्र का सिर आखिर कहां गया? यह सवाल उठ रहा था. वहीं, मनोज और रवि के सिर भी गायब मिले थे. पुलिस ने बढ़ते दबाव को लेकर राजा कोलंदर को रिमांड पर लिया. सख्ती से पूछताछ में उसने सभी राज खोल दिए. वह पुलिस को लेकर पिपरी स्थित अपने फॉर्म पर ले गया. वहां वह सुअर पालन करता था. अधिकारियों की मौजूदगी में पुलिस ने फॉर्म हाउस में दफन दो लाशें बरामद कीं और दर्जनभर नरमुंड भी मिले. 

नरमुंडों पर मार्कर से लिखे थे नाम
नरमुंडों पर मार्कर से नाम लिखे गए थे. राजा ने बताया कि यह उन्हीं के नाम हैं, जिनके नरमुंड हैं. पूछताछ में उसने बताया कि हत्या के बाद सिर फॉर्म हाउस पर लाता था. उसे खौलते पानी में उबाल कर साफ करता था. फिर नाम लिख कर जमीन में दबा देता था. बरामद नरमुंडों में धीरेंद्र सिंह का नाम भी लिखा था. कहा जाता है कि जिस पानी में नरमुंडों को उबालता फिर उनका सूप बनाकर पीता था.  

मनोज और रवि के नरमुंड भी मिलने की बात सामने आई थी. शुक्रवार 23 मई को इस मामले में लखऊ कोर्ट ने उम्रकैद की सजा भी सुना दी. 

Disclaimer: लेख में दी गई ये जानकारी सामान्य स्रोतों से इकट्ठा की गई है. इसकी प्रामाणिकता की स्वयं जांच करें. ज़ी यूपीयूके हूबहू समान होने का दावा या पुष्टि नहीं करता.

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